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हरियाली अमावस्या पर एेसे पूरी होगी मनोकामना

हरियाली अमावस्या का त्योहार सावन महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्योहर सावन में प्रकृति पर आई बहार की खुशी में मनाया जाता है। हरियाली अमावस पर पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किए जाते हैं तथा मालपूए का भोग बनाकर चढ़ाए जाने की परम्परा है। हरियाली अमावस्या पर पौधारोपण का अधिक महत्व है।
अगर आपने जीवन के कष्टों से परेशान हो गए हैं और अब उनसे निजात पाना चाहते हैं तो हरियाली आमवस्या की शाम को किए गए कुछ उपाय आपको आपके कष्टों से निजात दिला सकते हैं और आपकी सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती हैं।
सूर्यास्त के बाद खीर बनाकर भगवान शिव को भोग लगाकर गरीबों में बांट दें। रात को घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ दीपक प्रज्ज्वलित करें। शाम 5 बजे के बाद हनुमान जी के समक्ष चमेली के तेल का दीपक जलाकर श्री राम के ध्यान मंत्र का जाप करें- ‘ऊँ आपदामम हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,लोकाभिरामं श्री रामं भूयो नामाम्यहम! श्री रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे,रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नम:!’। काले कुत्ते को सरसों का तेल लगाकर रोटी खिलाएं तुलसी के पास दीपक जलाएं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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