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उत्तराखंड चुनावः रामनगर से माफी मांगी और लालकुआं से यह बोले, हरीश रावत

रामनगर से लालकुआं शिफ्ट हो गया पूर्व मुख्यमंत्री रावत का टिकट

देहरादून। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कांग्रेस ने रामनगर विधानसभा सीट से शिफ्ट करके लालकुआं में प्रत्याशी बनाया है। इस शिफ्टिंग पर उन्होंने रामनगर क्षेत्र के लोगों से माफी मांगते हुए कहा, मैं अपनी जिंदगी की एक बड़ी अभिलाषा को पूरा नहीं कर पाया। रावत कल रामनगर से नामांकन करने की घोषणा कर चुके थे, पर देर रात कांग्रेस ने पांच सीटों पर व्यापक बदलाव कर दिया।

सोशल मीडिया पोस्ट में रावत ने कहा, कहीं माँ गर्जिया की प्रार्थना में मुझसे कुछ त्रुटि रह गई। मैं क्षमा चाहता हूँ, माँ गर्जिया देवी से भी और आप सब रामनगर वासियों से भी।

वो कहते हैं, रामनगर से चुनाव न लड़ना मेरे लिए एक भावनात्मक चोट है। मैं चुनाव भले ही न लड़ पा रहा हूँ रामनगर से,  मगर रामनगर हमेशा मेरे हृदय में रहेगा और मैं जिस अभिलाषा के साथ रामनगर और उससे चारों तरफ से जुड़े हुए क्षेत्रों का आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाने के लिए चुनाव लड़ना चाहता था, उस इच्छा को मैं हमेशा आगे बढ़ाऊंगा।

वो लिखते हैं,  कांग्रेस के साथियों का जिन्होंने मेरे साथ बड़ी-बड़ी कल्पना जोड़ ली थी, सर्वथा विपरीत परिस्थितियों में ये कमर कसकर मुझे विजयश्री दिलवाने के लिए रात-दिन काम करना शुरू कर दिया था, मैं उन सबसे भी क्षमा प्रार्थी हूँ।  मैं आपका अपराधी हूँ, पार्टी का आदेश मानना मेरा कर्तव्य है। मैं अब उस कर्तव्य को पूरा करने के लिए आप सब साथियों का स्नेह और रामनगर की जनता-जनार्दन और माँ गर्जिया का आशीर्वाद लेकर लालकुआं जा रहा हूं।

वहीं रावत ने एक ट्वीट में लालकुआं के लिए कहा, लालकुआं उत्तराखंड की परंपराओं और आधुनिक स्वरूप लेकर तेजी से आगे बढ़ता हुआ है। कांग्रेस पार्टी ने मुझे आपका आशीर्वाद लेने के लिए अधिकृत किया है, मैं आपकी शरण में आ रहा हूंँ।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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