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अक्टूबर तक 6,000 पदों को भरने के लिए केंद्रीय विवि मिशन मोड पर काम करेंगेः धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री,धर्मेंद्र प्रधान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अक्तूबर, 2021 तक 6,000 रिक्त पदों को भरने के लिए मिशन-मोड पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।उन्होंने पूर्व छात्रों को सहायक निधिप्रदान करने के लिए संरचना तैयार करने का आग्रह किया।

शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, यूजीसी के चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए।

बैठक में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय रचनात्मकता, नवाचार और अवसरों को पोषणप्रदान कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति- 2020 भारत को उभरती हुई नई वैश्विक व्यवस्था में शीर्ष स्थान पर रखने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और भारत के भाग्य का संरक्षक होने के रूप में, हमारे विश्वविद्यालयों को एनईपी में उल्लेख किए गए जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए।

उन्होंने शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा जीवंत और समग्र बनाने एवं एनईपी के माध्यम से भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करने पर बल दिया।

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि हमारे उच्च शैक्षणिक संस्थान सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और महत्वाकांक्षाओं तथा राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रमुख उत्प्रेरक हैं। उन्होंने अपील की, कि विश्वविद्यालयों को भारतीय भाषाओं में सीखने और भारत की सांस्कृतिक विरासत को लोकप्रिय बनाने और उसे बढ़ावा देने की दिशा में काम करना चाहिए।

कुलपतियों से यह भी अनुरोध किया कि वे अपने विश्वविद्यालयों में खेलों को प्रोत्साहित करें, जिससे देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा मिल सके। कुलपतियों को अपने परिसरों में नवाचार एवंअनुसंधान को बढ़ावा देकर अपने छात्रों को नौकरी प्रदाता बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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