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असम में बीमार बच्चे को मिलीं वीआईपी सेवाएं

गुवाहाटी के एक नर्सिंग होम की आईसीयू में भर्ती चार महीने के बच्चे को एयरपोर्ट तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर उपलब्ध कराया गया। अस्पताल से गुवाहाटी एयरपोर्ट तक लगभग 30 किमी. का सफर बिना किसी बाधा के पूरी सुरक्षा के साथ तय कराया गया। असम के मुख्यमंत्री कार्यालय ने गुवाहाटी के रेजीडेंट कमिश्नर को निर्देश दिए थे कि बच्चे को एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर की सुविधा प्रदान की जाए। 

निमोनिया से गंभीर रूप से पीड़ित चार माह के बच्चे को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ले जाने के लिए एयर एंबुलेंस की सेवाएं ली गईं। नर्सिंग होम के आईसीयू में बच्चा वेंटीलेशन पर था। रविवार को इस बच्चे को नर्सिंग होम से लोकप्रिया गोपीनाथ बोर्डोली इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक लाना था। जिसके लिए उसको अस्पताल से एयरपोर्ट तक 30 किमी. का सफर तय करना था। उसको बिना किसी बाधा के जल्द से जल्द एयर एंबुलेंस तक पहुंचना था।

एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार अस्पताल के अधिकारियों और बच्चे के माता-पिता के अनुरोध पर कामरूप मेट्रोपॉलिटन जिला प्रशासन और राज्य पुलिस ने बच्चे की एंबुलेंस को एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर की सेवाएं प्रदान की। वहीं असम सरकार ने इस बच्चे के आगे के इलाज का खर्चा स्वयं उठाने की बात कही।

मुख्यमंत्री के कार्यालय ने असम के रेजीडेंट कमिश्नर को निर्देश दिए थे कि राजधानी में ‘ग्रीन कॉरिडोर’ की सुविधा उपलब्ध कराएं, ताकि बच्चे को बिना किसी बाधा के एयर एंबुलेंस तक पहुंचाया जाए। कुछ माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी असम के डिब्रूगढ़ से एक बीमार बच्चे को ‘ग्रीन कॉरिडोर’ की सुविधा प्रदान करने के निर्देश दिए थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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