Uttarakhand

लायंस क्लब भागीरथी ने शिक्षकों को सम्मानित किया

हरिद्वार। लायंस क्लब हरिद्वार भागीरथी ने शिक्षक दिवस समारोह में शिक्षकों को गुरु बृहस्पति सम्मान से सम्मानित किया। सरस्वती विद्यामंदिर इंटर कालेज में आयोजित शिक्षक दिवस सम्मान समारोह में वक्ताओं ने गुरु शिष्य परंपरा को जीवन का सार बताया। कहा कि गुरु बिना ज्ञान संभव नहीं और ज्ञान के बिना कोई भी विकास संभव नहीं।
लायंस क्लब हरिद्वार भागीरथी के समारोह में बालमंदिर के डा.आनंद वल्लभ जोशी ने डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने ज्ञान की लौ जलाई और आध्यात्मिकता का पाठ भी पढ़ाया। आज शिक्षा पर बाजारीकरण हावी है, जिस पर अंकुश लगना चाहिए। हमारी सांस्कृतिक विरासत में वैज्ञानिकता छिपी है। गुरु शिष्य परंपरा का यह पर्व भी हमें उर्जा प्रदान करता है।
प्राचार्य डा. विजयपाल सिंह ने कहा कि संसार में पहली शिक्षक मां होती है, लेकिन वह गुरु ही होता है जो उसे संसार में जीने की कला और कामयाबी की राह बताता है। बाजारीकरण के इस दौर में गुरु शिष्य की इस परंपरा को आगे बढ़ाने की जरूरत है। गुरु की महिमा तो भगवान से भी पहले की गई है। आज जरूरत इस परंपरा को समृद्ध करने की है।
महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल डा. शशि प्रभा ने कहा कि एक बच्चा कच्ची मिट्टी के समान होता है, जिसे गुरु ही गढ़कर सोना बनाता है। गुरु केवल किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन के अमिट रहस्यों को अपने शिष्यों से बांटते हैं जिससे उनका शिष्य कामयाबी की राह पर आगे बढ़ें। विद्यामंदिर के वाइस प्रिंसिपल अजय सिंह ने कहा कि गुरु की महत्ता एक पिता से भी बढ़कर है। वह ही है जो उसे जीवन में सफलता के सूत्र बताता है। कहा कि आज के समाज में गुरु और शिष्य दोनों को ही समाज में अपने यथार्थ और जनहितार्थ को नहीं भूलना चाहिए।
लायंस क्लब के सुनील अग्रवाल गुड्डू ने कहा कि लायंस क्लब भागीरथी आज शिक्षकों को उन्ही के कालेज में आकर सम्मानित कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। बच्चों को अपने शिक्षकों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। उनके ऋण से हम कभी भी उतार नहीं सकते। समारोह की राष्ट्रगान के साथ हुई।
लायंस क्लब अध्यक्ष प्रदीप गर्ग और उनकी टीम ने शिक्षकों को गुरु बृहस्पति सम्मान और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। क्लब ने शिक्षिका नीलम बिष्ट और मीनाक्षी यशकल्याण को भी सम्मानित किया।  सम्मान करने वालों में अचिन अग्रवाल, सुनील अग्रवाल,  विजय गुप्ता,  उपेन्द्र गुप्ता, रोहित तुम्बड़िया, मोहन लाल अग्रवाल,  मयूर पटेल, अतुल अग्रवाल,  मयंक गुप्ता, अंकित गुप्ता, लवनाथ शर्मा, सुरभि, स्नेह गर्ग, सरोज अग्रवाल, बबीता भाटिया, अनिल बिष्ट,राकेश कुमार, प्रतीक गुप्ता, नीलम, मी​नाक्षी, आशी आदि शामिल हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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