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सीजनल एन्फ्लुएंजा में विशेष सावधानी बरतें इन बीमारियों से पीड़ित लोग

उत्तराखंड सरकार ने रोग पर नियंत्रण के लिए जारी की एडवायजरी

देहरादून। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को सीजनल इन्फ्लुएन्जा पर नियंत्रण के लिए एडवायजरी जारी की है। सरकार ने लोगों से जागरूक रहकर सावधानी बरतने की अपील की है।

शासन ने सभी जिलाधिकारियों को जारी पत्र में, वर्तमान में कई राज्यों में सीजनल इन्फ्लुएंजा ग्रुप के एच1एन1, एच3एन2 इन्फ्लुएन्जा, इन्फ्लुएन्जा बी, एडिनो वायरस प्रसारित होने तथा इससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होने की जानकारी दी है। सीजनल इन्फ्लूएंजा वायरस आमतौर पर जनवरी से मार्च तक फैलता है, जिसमें सतर्कता एवं सावधानी की जरूरत है।

यहां देखें सरकार की ओर से जारी एडवायजरी- एडवायजरी

इसमें अधिकतर रोगियों में बुखार व खांसी के सामान्य लक्षण होते हैं, जो स्वतः ही ठीक हो जाते हैं। हालांकि अन्य रोगों (जैसे Chronic Obstructive Pulmonary Disease यानी लंबे समय तक फेफड़ों में दिक्कत तथा मधुमेह, हृदय रोग, क्रोनिक रीनल और लीवर डिजीज आदि) से ग्रसित लोग, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं, मोटापे से ग्रस्त एवं बच्चों आदि में विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है।

वर्तमान में इन्फ्लुएंजा के Sub types की जांच के लिए राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून एवं हल्द्वानी, नैनीताल में सुविधा उपलब्ध है।

सीजनल इन्फ्लुएन्जा के संचरण को रोकने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है, जैसे हाथ धोना, खांसी या छींक आने पर अपने मुंह और नाक को टिश्यू से ढंकना, सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचना, भीड़भाड़ वाले वातावरण में मास्क का उपयोग करना आदि उपाय शामिल हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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