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2021 से 2025 में कम से कम कोई एक वर्ष अब तक का सबसे गर्म साल होगा !

वर्ष 2021-2025 की अवधि में 90 फ़ीसदी सम्भावना है कि कम से कम कोई एक वर्ष अब तक का सबसे गर्म साल साबित होगा। ‘Global Annual to Decadal Climate Update’ नाम की रिपोर्ट दर्शाती है कि ऐसी स्थिति में, वर्ष 2016 पीछे रह जाएगा, जो कि अब तक सबसे गर्म साल रहा है।
इस रिपोर्ट को ब्रिटेन के मौसम विज्ञान कार्यालय ने तैयार किया है, जो कि ऐसे पूर्वानुमानों के लिये यूएन एजेंसी का अग्रणी केंद्र है।
यूएन समाचार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक औसत तापमान में वार्षिक बढ़ोतरी, पूर्व औद्योगिक काल में तापमान के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा होने की सम्भावना लगातार बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी (WMO) ने गुरुवार को अपनी एक रिपोर्ट के साथ चेतावनी भी जारी की है कि ऐसा अगले पाँच वर्षों के भीतर ही हो सकता है।

रिपोर्ट दर्शाती है कि इस अवधि के दौरान, तापमान में बढ़ोतरी के इस स्तर को छूने की सम्भावना 40 फ़ीसदी है, और यह सम्भावना लगातार प्रबल हो रही है।
इससे पहले, अप्रैल में जारी रिपोर्ट (State of the Global Climate 2020) के मुताबिक वर्ष 2020, अब तक के तीन सबसे गर्म सालों में शामिल है। पूर्व औद्योगिक काल में तापमान के स्तर की तुलना में वैश्विक औसत तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था।
गुरुवार को जारी अपडेट इस रूझान की पुष्टि करता है कि अगले पाँच वर्षों में, वार्षिक वैश्विक तापमान के कम से कम एक डिग्री सेल्सियस (0.9 डिग्री सेल्सियस से 1.8 डिग्री सेल्सियस तक के बीच) ज़्यादा रहने की सम्भावना जताई गई है।
पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के तहत, तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक सीमित रखने को, सभी देशों के लिए एक लक्ष्य के रूप में स्थापित किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2025 के अन्त तक, उच्च-अक्षांश (High-latitude) क्षेत्रों और सहेल क्षेत्र (Sahel Region) में अपेक्षाकृत अधिक वर्षा होगी। साथ ही, अटलांटिक क्षेत्र में 1980 के दशक की शुरुआत से नापे गए औसत से ज़्यादा चक्रवाती तूफ़ान आने की संभावना है।
यूएन मौसम-विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस का कहना है कि “ये आँकड़ों से कहीं बढ़कर हैं।”
“तापमान में बढ़ोतरी का अर्थ, ज़्यादा मात्रा में हिम का पिघलाव होना, समुद्री जल स्तर बढ़ना, ज़्यादा गर्म हवाएं और अन्य मौसम हैं। खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और टिकाऊ विकास पर कहीं ज़्यादा असर है।”
उन्होंने कहा कि यह एक और नींद से जगा देने वाली घंटी है जो आगाह करती है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती लाने और कार्बन तटस्थता को हासिल करने के संकल्पों के लिए कार्रवाई में तेज़ी की आवश्यकता है.
यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक, आधुनिकतम टैक्नॉलॉजी के सहारे, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों का उनके स्रोत तक पता लगाना सम्भव है, जिससे कटौती लाने के प्रयासों को बड़ी मदद मिल सकती है।
Key words:- Global Annual to Decadal Climate Update, State of the Global Climate 2020, Sahel Region, annual average global temperature, The World Meteorological Organization, ब्रिटेन का मौसम विज्ञान कार्यालय,
 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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