मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने टिहरी दौरे के दौरान हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज भागीरथीपुरम में कोविड की तैयारियों और विकास योजनाओं की समीक्षा की। निर्देश दिए कि गांव-गांव जाने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ पुलिस कर्मियों को भी भेजा जाए।
सीएमओ को निर्देश दिए कि जिन चिकित्सकों को अटैच किया गया है, उनको तत्काल उनके मूल स्थानों पर तैनाती की जाए। जिला प्रशासन को कोविड गाइड लाइन का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए।
जनपद में संचालित कोविड केयर सेंटरों में मानव संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को स्थानीय स्तर से 11 माह की अवधि के लिए नियुक्तियां करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड पर कड़ी कार्रवाई से अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं। यही समय है जब और अधिक सावधानी बरते जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि मैदानी क्षेत्रों से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आरटीपीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट का चेकपोस्ट पर अनिवार्य रूप से अवलोकन किया जाए।
मानसून की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि सभी मोटर मार्गों के स्लाइडिंग जोन का चिह्नीकरण कर लिया जाए। मोटर मार्गो के अवरुद्ध होने की स्थिति में 30 मिनट में घटनास्थल पर मानव संसाधन सहित मशीनरी पहुंच जाए।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोमवार को नरेन्द्रनगर उप जिला चिकित्सालय (कोविड केयर सेंटर) का निरीक्षण किया। फोन पर अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों का हालचाल पूछा। उन्होंने मरीजों से खान-पान एवं अन्य व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली। मरीजों ने बताया कि कोविड केयर सेंटर में चिकित्सक नियमित देखभाल कर रहे हैं। भोजन, स्वच्छता एवं अन्य व्यवस्थाएं भी अच्छी हैं।
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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में 26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।
बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है।
बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।
अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।
बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं।
शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग