FeaturedhealthUttarakhand

अल्मोड़ा मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट शुरू

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के अन्तर्गत बेस अस्पताल में 500×2 एलपीएम और अल्मोड़ा जिला अस्पताल में 216 एलपीएम के ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट का वर्चुअल लोकार्पण किया। कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में ये पहले ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट हैं।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि अल्मोड़ा में ऑक्सीजन प्लांट से अल्मोड़ा व आसपास के जनपदों को फायदा होगा। हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल में भी वर्कलोड कम होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों के बाद सीएचसी स्तर तक ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था की जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर के दृष्टिगत सभी तैयारियां पहले से ही पूर्ण कर ली जाएं।
उन्होंने कहा कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए बनाईं निगरानी समितियां व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएं। कोरोना टेस्टिंग और टीकाकरण के लिए लगातर जागरूक किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 45 वर्ष से अधिक के अधिकांश  लोगों का टीकाकरण हो चुका है। भारत सरकार से भी समय- समय पर वैक्सीन मिल रही है। 18 वर्ष से अधिक का टीकाकरण तेजी से हो, इसलिए अन्य देशों से भी वैक्सीन मंगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
राज्य सरकार राशनकार्ड धारकों को अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है। जल्द ही अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में शैक्षणिक सत्र शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सांसद अजय टम्टा ने ऑक्सीजन प्लांट के लिए मुख्यमंत्री रावत का आभार व्यक्त किया।

Keywords:- Chief Minister of Uttarakhand, Tirath Singh Rawat, COVID-19, Corona testing, Corona vaccination, Oxygen Generation Plants in Uttarakhand, Corona in rural area of Uttarakhand, Public awareness campaigns, Preparations for the third wave of covid-19, कोरोना से बचने के उपाय, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, तीरथ सिंह रावत, कोरोना टेस्टिंग, कोरोना वैक्सीन कब लगेगी, कोरोना वैक्सीन कैसे लगेगी, कोरोना संक्रमण के समय कालाबाजारी, आक्सीजन की मांग, अस्पतालों में बेड की स्थिति, गांवों में कोरोना की स्थिति, डेंगू से बचाव कैसे करें, कोरोना संक्रमण से बचने के उपाय

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button