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डोईवाला अस्पताल को खुद क्यों नहीं चलाना चाहती सरकार

डोईवाला


सरकार डोईवाला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। इसके विरोध में क्षेत्रवासियों का आंदोलन तेजी पकड़ने लगा है। अस्पताल परिसर में क्षेत्रवासियों का धरना और प्रदर्शन चौथे दिन भी जारी रहा। इस दौरान लोगों ने सरकार को जगाने के लिए बुद्धि शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री अपनी विधानसभा के वर्षों पुराने अस्पताल की दशा में सुधार करें, न कि इसे किसी निजी संस्था को सौंपकर क्षेत्रवासियों की भावना से खिलवाड़ किया जाए। उनका सवाल है कि क्या सरकार इतनी बेबस हो गई है कि वो अपने अस्पताल को नहीं चला सकती।

डोईवाला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में क्षेत्रवासियों ने गुरुवार को भी धरना और प्रदर्शन जारी रखा। युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव विक्रम सिंह नेगी के नेतृत्व में लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में डोईवाला सीएचसी को अपग्रेड करने और इसकी दशा में सुधार का वादा किया था, लेकिन सरकार बनते ही इसको भुला दिया गया। यह स्थिति तब है, जब डोईवाला विधानसभा का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री ही करते हैं।

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सभा में नेगी ने आरोप लगाया कि पहले डोईवाला अस्पताल में सुविधाओं और स्टाफ की कमी की गई और फिर इसको बीमार करार देते हुए निजी हाथों को सौंपने की पूरी तैयारी कर ली गई। उन्होंने कहा कि जो भी निजी संस्था इस अस्पताल का संचालन करने की इच्छुक है, वो पहाड़ के दुर्गम इलाकों में जाकर लोगों का इलाज करने में रूचि क्यों नहीं लेती। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि डोईवाला सीएचसी में आने वाले गरीब परिवारों के मरीजों को सीधे इस संस्था के अस्पताल की ओर रैफर किया जाएगा। यह सीएचसी एक अस्पताल कम इस संस्था के एक काउंटर की तरह काम करेगा। उन्होंने कहा कि अगर निजी संस्था डोईवाला के लोगों के प्रति इतनी ज्यादा ही हमदर्दी रखती है तो अपने ही अस्पताल में यहां के मरीजों का निशुल्क इलाज क्यों नहीं करती।

सभा में निर्णय लिया गया कि शुक्रवार से घर-घर जाकर लोगों को अस्पताल के निजीकरण के खिलाफ जागरूक किया जाएगा, ताकि पूरा डोईवाला सरकार के इस फैसले का विरोध करे। इस आंदोलन से सभी दलों, सामाजिक संस्थाओं और बुद्धिजीवी वर्ग को जोड़ा जाएगा। गुरुवार को क्षेत्र की महिलाओं ने धरना स्थल पर भजन कीर्तन का आयोजन किया था। इस मौके पर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मोहित शर्मा, धीरेंद्र चौहान, जाहिद अंजुम, मनमोहन नौटियाल, एनएसयूआई नगर अध्यक्ष पीएस वर्मा, सियाराम गिरी, रजत कुमार, सावन राठौर, अमरीक सिंह, जतिन साहनी, पदम सिंह, राहुल सैनी, संजय सिंह, कुलदीप त्यागी, परविंद्र सिंह, जय किशोर, राजवीर खत्री, रणवीर गुरुंग, संदीप सकलानी, अनिल घई, शोभित, तनवीर हुसैन, गुरुतेज सिंह, अनूप शर्मा आदि शामिल हुए।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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