FeaturedhealthNewsUttarakhand

बड़ी सफलता:एम्स ऋषिकेश में कैंसर की रोबोटिक सर्जरी

मलाशय कैंसर से जूझ रही थी पौड़ी गढ़वाल की 22 साल की महिला

ऋषिकेश। न्यूज लाइव

मलाशय कैंसर की समस्या से जूझ रही एक महिला के इलाज में एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल किया। मरीज को काफी राहत है और उनको बहुत कम समय में अस्पताल से भी छुट्टी मिल गई। जोखिमभरी यह सर्जरी सरकारी खर्चे पर आयुष्मान भारत योजना के तहत की गई है।

पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली 22 वर्षीया महिला मलाशय कैंसर की बीमारी से जूझ रही थी। पेट फूलने, पेट में दर्द रहने, कब्ज और मल त्याग में खून आने की समस्या से परेशान इस महिला के इलाज में एम्स के चिकित्सकों द्वारा उपचार की उच्च तकनीक रोबोटिक सर्जरी की मदद ली गई।

लगभग 3 घंटे तक चली सर्जरी के दौरान अनुभवी डॉक्टर्स की टीम ने महिला के पेट के भीतर स्थित मलाशय में फैल चुके कैंसर ग्रस्त आंत के भाग को बड़ी ही सावधानी से हटा दिया, ताकि कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित न कर सके।

चिकित्सीय भाषा में इसे एब्डोमिनो पेरिनिनयल रिसेक्शन कहते हैं। हालांकि इससे पूर्व मरीज की बायोप्सी कर ली गई थी, जिसमें मरीज के मलाशय में एडेनोकार्सिनोमा रेक्टम का पता चला था।

इस बारे में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि पौड़ी गढ़वाल निवासी इस महिला को यह समस्या फरवरी- 2023 से बनी थी। अप्रैल 2023 में जब वह पहली बार एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की ओपीडी में आई तो आवश्यक जांच रिपोर्टों के आधार पर पता चला कि मलाशय कैंसर है और वह फैल रहा है।

आंतों के अन्दर का मामला देखते हुए पहले नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के माध्यम से रोगी का उपचार शुरू किया गया, लेकिन लाभ न मिलने पर त्वरित इलाज के लिए रोबोटिक एब्डोमिनो-पेरिनियल रिसेक्शन की योजना अमल में लाई गई।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस सर्जरी में रक्तस्राव नहीं होता है और दर्द व परेशानी बहुत कम होने से मरीज को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं पड़ती है।

रोबोटिक सर्जरी द्वारा कैंसर ग्रस्त गुदा, मलाशय और सिग्मॉइड बृहदान्त्र के हिस्से को हटा दिया जाता है,चूंकि आंत का सिरा पेट की सतह में एक छेद से जुड़ा होता है इसलिए इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पेट के भीतर सभी अपशिष्ट को शरीर से बाहर एक डिस्पोजेबल बैग में एकत्र किया गया। उन्होंने बताया कि मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ. )मीनू सिंह ने रोबोटिक अब्डोमिनो-पेरिनिअल रिसेक्शन की सफलता पर सर्जरी करने वाले डॉक्टरों की टीम की प्रशंसा की और कहा कि एम्स में उपलब्ध इलाज की नवीनतम मेडिकल तकनीकों और अनुभवी डॉक्टरों की श्रेष्ठता ने एक बार फिर मरीजों के स्वास्थ्य देखभाल में उत्कृष्टता का परिचय दिया है।
चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने कहा कि एम्स में कैंसर रोगियों के उपचार के लिए विशेष शल्यक्रियाओं और उन्नत ओन्कोलॉजिकल देखभाल की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं। सर्जिकल ओन्कोलॉजी विभाग इसमें विशेष भूमिका निभा रहा है। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. अमित गुप्ता के अलावा डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. मरेश्वरी, डॉ. अजित, डॉ. निर्भय और डॉ. विवेक सहित एनेस्थेसिया विभाग से डॉ. भावना गुप्ता, डॉ. धात्री और डॉ. दर्शन, परिचर्या कर्मचारी मुकेश, साक्षी,सौम्या शामिल थे।

सप्ताह में 3 दिन होती है ओपीडी
डॉक्टर अमित गुप्ता ने बताया कि एम्स अस्पताल में कैंसर से पीड़ित लोग सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की ओपीडी में मंगलवार, शुक्रवार और शनिवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक रोगी को ला सकते हैं। उन्होंने बताया कि विभाग में सभी प्रकार के कैंसर के इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button