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उत्तराखंड सरकार वहन कर रही प्रवासियों को लाने के लिए ट्रेन और बस का खर्चा

  • रेलवे के पास 50 लाख रुपये एडवांस जमा भी कर दिए गए हैं
  • राजस्थान से भी ट्रेन की बात चल रही है, अभी तक आठ ट्रेन का अनुरोध किया हुआ है

देहरादून। अभी तक देशभर में फंसे 23794 प्रवासियों को उत्तराखंड लाया जा चुका है। सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि सूरत, अहमदाबाद, पुणे, बैंगलोर आदि स्थानों से प्रवासियों को लाने के लिए ट्रेन की बात हुई है। राजस्थान से भी ट्रेन की बात चल रही है। प्रवासियों को लाने के लिए ट्रेन, बस का व्यय उत्तराखंड सरकार वहन कर रही है। रेलवे के पास उत्तराखंड सरकार ने 50 लाख रुपये एडवांस जमा भी कर दिए गए हैं।

शनिवार को मीडिया सेंटर, सचिवालय में प्रेस ब्रीफिंग में सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि शुक्रवार शाम तक हरियाणा से 11482, चंडीगढ़ से 4838, उत्तर प्रदेश से 3526, राजस्थान से 2409, दिल्ली से 482, पंजाब से 327, गुजरात से 319 और अन्य राज्यों से 411 लोगों का लाया गया है।

अभी तक अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने के लिए 1,79,615 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। उत्तराखंड के एक जनपद से दूसरे जनपद में जाने वालों की कुल संख्या 34,886 है। उत्तराखंड से अन्य राज्यों को जाने के लिए 21,717 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। इनमें से 6,378 लोगों को भेजा जा चुका है।

बगोली ने बताया कि बाहर से प्रवासियों को लाने की प्रक्रिया नियोजित तरीके से होती है। इसमें जिलों में एक दिन में कितने लोगों की व्यवस्था हो सकती है, उसके आधार पर टाइम टेबल बनाया जाता है। उसी आधार पर लोगों को लाया जा सकता है। जिन लोगों ने भी आने के लिए पंजीकरण कराया है, उन सभी को लाने के लिए राज्य सरकार व्यवस्थाएं कर रही हैं, लेकिन इसमें मेडिकल जांच, सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारान्टाइन सहित तमाम तरह की सावधानियां भी बरतनी हैं।

उन्होंने बताया कि सूरत, अहमदाबाद, पुणे, बैंगलोर आदि स्थानों से प्रवासियों को लाने के लिए ट्रेन के लिए भी बात हुई है। राजस्थान से भी ट्रेन की बात चल रही है। अभी तक आठ ट्रेन का अनुरोध किया हुआ है। इसका प्लान किया जा रहा है। कुछ मीडिया में एक निश्चित दिनांक को ट्रेन चलने की खबर के बारे में पूछे जाने पर बगोली ने बताया कि यह समाचार सही नहीं है। अभी कोई तिथि तय नहीं हुई है।

जल्द ही रेल मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकार से समन्वय कर ट्रेन से प्रवासियों को लाने का भी टाइमटेबल बना दिया जाएगा। जैसे ही तिथि तय हो जाएगी, संबंधित प्रवासियों को एसएमएस के माध्यम से सूचित कर दिया जाएगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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