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पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड

नई दिल्ली। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत  मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री  पुरुषोत्तम रूपाला ने वर्चुअल माध्यम से “राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान” की आधिकारिक रूप से शुरुआत की।

देश के सभी पात्र पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का लाभ प्रदान करने के लिए मत्स्य विभाग (डीओएफ) और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सहयोग से 15 नवंबर 2021 से लेकर 15 फरवरी 2022 तक “राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान” का आयोजन कर रहा है।

इस अभियान के लिए राज्यों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए। वित्तीय सेवाओं के विभाग ने बैंकों के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पशुधन क्षेत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन गतिविधियां लाखों लोगों को सस्ता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के अलावा किसानों के लिए , विशेष रूप से भूमिहीन, लघु और सीमांत किसानों तथा महिलाओं के बीच आय सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

यह समय की मांग है कि देश में पशुपालन गतिविधियों में शामिल भूमिहीन, लघु और सीमांत किसानों तथा महिलाओं को सम्मानजनक रूप से मान्यता प्रदान की जाए और केसीसी के माध्यम से कार्यशील पूंजी के लिए उनकी संस्थागत ऋण आवश्यकताओं को पूरा किया जाए, जिससे इस क्षेत्र की क्षमता का दोहन किया जा सके और रोजगार सृजन तथा आय में वृद्धि की जा सके।

पिछले वर्ष एक जून 2020 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक,पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने वित्तीय सेवा विभाग के सहयोग से दुग्ध सहकारी समितियों और दुग्ध उत्पादक कंपनियों के पात्र डेयरी किसानों को एएचडीएफ केसीसी उपलब्ध कराने के लिए विशेष अभियान चलाया था, जिसके परिणामस्वरूप 14 लाख से ज्यादा नए एएचडीएफ केसीसी को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।

पूरे देश में लगभग 10 करोड़ एएचडी (Animal Husbandry and Dairying) किसान हैं, इसलिए डेयरी सहकारी समितियों के अलावा भी इसके विस्तार की पर्याप्त संभावनाएं हैं,जिससे अन्य पात्र डेयरी किसानों के साथ-साथ पशुपालन गतिविधियों में शामिल अन्य को भी कवर किया जा सके।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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