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योग और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर जानिए एम्स ऋषिकेश की सलाह

एम्स, ऋषिकेश आयुष विभाग के विशेषज्ञों ने आयुष से जुड़ी इन प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों का महत्व बताया

ऋषिकेश। 08 फरवरी, 2025

दौड़भाग वाली जीवनशैली और बढ़ते तनाव के दौर में योग और प्राकृतिक चिकित्सा (नैचुरोपैथी) पद्धति शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए प्रभावशाली हो सकती है।

एम्स, ऋषिकेश आयुष विभाग के विशेषज्ञों ने आयुष से जुड़ी इन प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों का महत्व बताया और इनसे स्वास्थ्य लाभ कैसे मिल सकता है, की जानकारी दी।

उनका कहना है कि, प्राकृतिक चिकित्सा और योग दोनों ही प्राचीन चिकित्सा प्रणालियां हैं, जो शरीर, मन और आत्मा के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं। इनका उद्देश्य प्राकृतिक तरीकों से स्वास्थ्य को सुधारना और स्वस्थ बनाए रखना है।

एम्स, आयुष विभाग के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीलॉय मोहंती के अनुसार योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है। योग का उद्देश्य शरीर और मन को एकीकृत करना और आंतरिक शांति प्राप्त कराना है ।

उन्होंने बताया कि योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है; यह एक सम्पूर्ण जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य व संतुलन स्थापित करता है।

आयुष विभाग की योग व प्रक्रितिक चिकित्साधिकारी डॉ. स्वेता मिश्र के अनुसार यह विधा कई बीमारियों में कारगर हो सकती है। प्राचीन भारत में उत्पन्न योग का उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शांति प्राप्त करना है।

योगासनों (पोस्चर्स), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), ध्यान (मेडिटेशन), योग विमर्श, षट्क्रिया और आहार- विहार- आचार-विचार संबंधी सुझावों के माध्यम से योग हमारी शारीरिक क्षमता,शक्ति और संतुलन बढ़ाता है। यह शरीर को मजबूत एवं लचीला बनाता है।

यह प्रक्रिया हमें मानसिक शांति प्रदान करती है और आत्मनियंत्रण, आत्म-जागरूकता, आत्म-विकास व दृढ़ निश्चय को सुदृढ़ करने में सहायक है । नियमित योगाभ्यास कई बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलती है।

कैसे कार्य करती है प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति
प्राकृतिक चिकित्सा प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करके शरीर की स्व-चिकित्सा क्षमता को बढ़ावा देती है। यह चिकित्सा विधा उपचार की स्वाभाविक शक्ति को प्रोत्साहित करती है व शारीरिक व मानसिक शक्ति को बढ़ाती है।

इस चिकित्सा प्रणाली में आहार, हर्बल उपचार जैसे हमारे आसपास के क्षेत्रों में उपलब्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग , जल चिकित्सा, धूप चिकित्सा, मालिश और जीवनशैली में बदलाव जैसी अन्य विधियां शामिल हैं।

क्या है प्राकृतिक चिकित्सा का सिद्धांत
प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक चिकित्सा का मुख्य सिद्धांत है कि; “शरीर में स्वाभाविक रूप से खुद को ठीक करने की क्षमता होती है। बस इसे सही दिशा देना व मार्गदर्शन करने की आवश्यकता होती है।

“प्राकृतिक चिकित्सा न केवल शारीरिक बीमारियों का उपचार करती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी सुधारने में सहायक है। यह शरीर को बिना किसी रासायनिक दवाओं के स्वाभाविक रूप से ठीक करने में मदद करती है।

इस प्रकार यह चिकित्सा शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है। यह प्रणाली दीर्घकालिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती है। इन विधाओं का एकीकृत तालमेल हमारे स्वास्थ्य के सभी पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

योग हमें मानसिक और शारीरिक संतुलन प्रदान करता है। आज के युग में, जब हम अधिक से अधिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, योग और प्राकृतिक चिकित्सा हमें एक स्वाभाविक और प्रभावी समाधान प्रदान कर सकते हैं। इन प्राचीन पद्धतियों को अपनाकर हम अपने जीवन को अधिक स्वस्थ और संतुलित बना सकते हैं।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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