सरस मेले में पशुपालन विभाग ने पशुओं को बांझपन से बचाने के लिए बताए ये उपाय
राष्ट्रीय सरस मेले के दूसरे दिन पशुपालन विभाग की गोष्ठी में पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों को पशुपालन विभाग की योजनाओं की जानकारी दी
देहरादून। न्यूज लाइव ब्यूरो
रेंजर्स ग्राउंड में आयोजित राष्ट्रीय सरस मेले के दूसरे दिन पशुपालन विभाग की गोष्ठी में पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों को पशुपालन विभाग की योजनाओं की जानकारी दी और पशुओं में लगने वाली बीमारियों से बचाव के उपाय बताए।
पशु चिकित्सक डॉ. श्वेता बलोदी ने पशुपालकों को बताया, दुधारू पशुओं विशेषकर गायों में बाँझपन की मुख्य समस्या उभर रही है।
इसके निवारण के लिए प्रत्येक पशु को तीन माह में एक बार कीड़ों की दवा तथा प्रतिदिन 50 ग्राम खनिज मिश्रण अवश्य देना चाहिए। पशुओं के आहार में हरे चारे को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।
पशुपालन के चार स्तम्भ, जैसे कि प्रबंध एवं नस्ल सुधार, पोषण व संतुलित आहार, पशुचिकित्सा एवं उपचार और उनके उचित प्रबंधन के साथ पशुपालन व्यवसाय को अपनाकर किसान आय में वृद्धि कर सकते हैं।
उन्होंने सभी पशुपालकों से कहा कि सभी अपने पशुओं का पशुधन बीमा योजना के अंतर्गत बीमा अवश्य कराएं ताकि पशु के साथ किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर आर्थिक रूप से हानि न हो।
उप मुख़्य चिकित्सा अधिकारी ने पशुपालकों को बद्री गाय की दूध की गुणवत्ता की जानकारी दी। उन्होंने बताया, बद्री गाय का दूध अन्य गायों की तुलना में पौष्टिक एवं उच्च गुणवत्ता वाला होता है।
उन्होंने दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए संतुलित चारा सहित खनिज मिश्रण व विटामिन्स को नियमित रूप से जानवरों को देने की बात कही।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विद्या सागर कापड़ी ने बताया कि गोष्ठी में 100 से अधिक पशुपालकों ने हिस्सा लिया, जिन्हें पशुओं में होने वाली बीमारियों और उनकी रोकथाम के लिए उपाय बताए।
करीब 50 से अधिक पशुपालकों को कुक्कुट पालन का प्रशिक्षण भी दिया गया। उन्हें बताया गया कि किस प्रकार से वो कुक्कुट पालन से आजीविका बढ़ा सकते हैं। साथ ही, गोष्ठी में पशुपालकों को पशुधन ऋण योजना, किसान क्रेडिट कार्ड सहित अन्य योजनाओं की जानकारी दी गई।
वहीं, सरस मेले में देर शाम जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।- साभार- डीआईओ देहरादून