विश्व हैंडवाशिंग डे हर साल 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन लोगों को हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। हाथ धोना एक ऐसी छोटी सी आदत है, लेकिन यह कई बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका है।
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क्यों खास है विश्व हैंडवाशिंग डे, जानिए बच्चों में हाथ धोने की आदत डालने के शानदार तरीके

न्यूज लाइव डेस्क

विश्व हैंडवाशिंग डे हर साल 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन लोगों को हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। हाथ धोना एक ऐसी छोटी सी आदत है, लेकिन यह कई बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर तरीका है।

विश्व हैंडवाशिंग डे एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन हमें यह याद दिलाया जाता है कि हाथ धोना कितना जरूरी है। हमें अपने बच्चों को भी स्वच्छता के बारे में सिखाना चाहिए ताकि वे स्वस्थ रहें और बीमारियों से बचे रहें।

क्यों मनाया जाता है?

  • स्वास्थ्य सुरक्षा: हाथ धोने से कई तरह की बीमारियों जैसे कि दस्त, हेपेटाइटिस ए, टाइफाइड आदि से बचा जा सकता है।
  • बच्चों की सुरक्षा: बच्चों में संक्रमण फैलने का एक बड़ा कारण गंदे हाथ होते हैं। इसलिए, बच्चों को स्वच्छता के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है।
  • समाज का विकास: स्वच्छता से समाज का विकास होता है। स्वस्थ समाज एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करता है।

हाथ धोने का सही तरीका

  • साबुन और पानी से कम से कम 30 सेकंड तक हाथ धोएं।
  • नाखूनों के नीचे और उंगलियों के बीच को भी अच्छे से साफ करें।
  • धोने के बाद साफ पानी से हाथों को अच्छे से धो लें।

विश्व हैंडवाशिंग डे का महत्व

  • जागरूकता फैलाना: इस दिन लोगों को हाथ धोने के महत्व के बारे में बताया जाता है।
  • सरकारी नीतियां: इस दिन सरकारें स्वच्छता से जुड़ी नीतियां बनाने और लागू करने पर ध्यान देती हैं।
  • समाज में बदलाव: इस दिन लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ती है और समाज में बदलाव आता है।

हाथ धोने से कौन-कौन सी बीमारियों से बचा जा सकता है?

हाथ धोना एक ऐसी छोटी सी आदत है जो कई गंभीर बीमारियों से बचा सकती है। नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोने से आप और आपके परिवार कई संक्रमणों से सुरक्षित रह सकते हैं।

हाथ धोने से निम्नलिखित बीमारियों से बचा जा सकता है:

  • दस्त: दस्त सबसे आम बीमारी है जो गंदे हाथों से फैलती है।
  • सर्दी और फ्लू: सर्दी और फ्लू के वायरस अक्सर हमारे हाथों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं।
  • आँख और कान के संक्रमण: गंदे हाथों से आँखों या कानों को छूने से संक्रमण हो सकता है।
  • त्वचा के संक्रमण: कट, खरोंच या घावों में गंदगी जाने से त्वचा के संक्रमण हो सकते हैं।
  • हेपेटाइटिस ए: यह एक लीवर का संक्रमण है जो गंदे खाने या पानी के माध्यम से फैलता है।
  • टाइफाइड: यह एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो दूषित भोजन या पानी के माध्यम से फैलता है।
  • कोरोनावायरस: हाल के वर्षों में, हाथ धोने को कोरोनावायरस जैसी महामारियों से बचाव के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से एक माना गया है।

कब धोएं हाथ:

  • खाना खाने से पहले और बाद में
  • शौचालय जाने के बाद
  • किसी बीमार व्यक्ति को छूने के बाद
  • किसी जानवर को छूने के बाद
  • कचरा निकालने के बाद
  • किसी घाव को छूने के बाद
  • खांसने या छींकने के बाद

हाथ धोने का सही तरीका:

  • गर्म पानी से हाथों को गीला करें।
  • पर्याप्त मात्रा में साबुन लें और हाथों को अच्छी तरह से रगड़ें।
  • नाखूनों के नीचे और उंगलियों के बीच को भी साफ करें।
  • कम से कम 30 सेकंड तक हाथ धोएं।
  • साफ पानी से हाथों को अच्छी तरह से धो लें।
  • साफ तौलिए से हाथ सुखाएं।

बच्चों को हाथ धोने की आदत डालने के मज़ेदार तरीके

बच्चों को हाथ धोने की आदत डालना कितना ज़रूरी है, यह हम सभी जानते हैं। लेकिन उन्हें यह काम मज़ेदार कैसे बनाया जाए, यह एक सवाल है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे मज़ेदार तरीके जिनसे आप अपने बच्चों को हाथ धोने के लिए प्रेरित कर सकते हैं:
  • हाथ धोने का गाना: एक मज़ेदार गाना बनाएं या कोई गाना ढूंढें जो कम से कम 20 सेकंड का हो। जब बच्चे गाना गा रहे हों, तब उन्हें हाथ धोने के लिए कहें।
  • हाथ धोने का चार्ट: एक रंगीन चार्ट बनाएं और हर बार जब बच्चा हाथ धोए तो उसमें एक स्टिकर लगाएं। जब चार्ट भर जाए तो उसे कोई पुरस्कार दें।
  • हाथ धोने का खेल: हाथ धोने को एक खेल बना दें। जैसे कि, “कौन सबसे पहले साबुन लगाएगा?” या “कौन सबसे अच्छे से नाखूनों के नीचे साफ करेगा?”
  • हाथ धोने का कहानी: बच्चों के लिए एक कहानी बनाएं जिसमें हाथ धोने के महत्व को समझाया जाए।
  • हाथ धोने का खिलौना: बच्चों के लिए एक स्पेशल हाथ धोने का खिलौना खरीदें जैसे कि एक रंगीन साबुन डिस्पेंसर या एक मज़ेदार तौलिया।
  • हाथ धोने का समय: दिन में कुछ निश्चित समय तय करें जब सभी को मिलकर हाथ धोना हो। जैसे कि, खाना खाने से पहले और सोने से पहले।
  • हाथ धोने की कहानी किताबें: बच्चों के लिए हाथ धोने पर आधारित किताबें पढ़ें।
  • हाथ धोने का वीडियो: बच्चों को हाथ धोने के वीडियो दिखाएं।

बच्चों को हाथ धोने के लिए प्रेरित करते समय इन बातों का ध्यान रखें:

  • मज़ेदार बनाएं: हाथ धोना एक मज़ेदार अनुभव होना चाहिए।
  • धैर्य रखें: बच्चों को नई आदतें डालने में समय लगता है।
  • सकारात्मक रहें: जब बच्चे हाथ धोएं तो उनकी तारीफ करें।
  • उदाहरण पेश करें: आप खुद भी नियमित रूप से हाथ धोएं ताकि बच्चे आपकी नकल करें।
क्या आप जानते हैं
एक रिपोर्ट के अनुसार,बच्चों में 50 फीसदी तक कुपोषण का कारण… सिर्फ साफ पानी न पीने और हाथों को अच्छी तरह साफ न करने से होता है। इस वजह से बच्चों में डायरिया का खतरा 40 प्रतिशत का बढ़ जाता है। बच्चों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। वे अगर बार—बार साफ पानी से हाथ न धोएं तो बैक्टीरिया और जर्म उन पर हावी हो जाते हैं।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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