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देहरादून व नैनीताल में जल आपूर्ति और स्वच्छता सेवाओं के लिए 125 मिलियन डॉलर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने उत्तराखंड राज्य के देहरादून और नैनीताल शहरों में सुरक्षित और किफायती पेयजल आपूर्ति तथा संपूर्ण शहर में समावेशी स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए 125 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के अपर सचिव रजत कुमार मिश्रा, जबकि एडीबी के इंडिया रेजिडेंट मिशन के कंट्री निदेशक ताकेओ कोनिशी ने एकीकृत उत्तराखंड और लचीली शहरी विकास परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
ऋण समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, मिश्रा ने कहा कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में आने वाले पर्यटकों को देखते हुए यह परियोजना तेजी से विस्तारित हो रही राजधानी देहरादून और नैनीताल में शहरी सेवाओं के उन्नयन की आवश्यकता का समाधान करती है।
उन्होंने कहा कि बेहतर जल और स्वच्छता सेवाएं बेहतर स्वच्छता कार्यप्रणालियों को भी बढ़ावा देंगी, जो लोगों को किसी भी तरह की महामारी और संक्रामक रोगों से बचाने में मदद करेंगी।
कोनिशी ने कहा कि यह परियोजना दो नगरों में जलापूर्ति और स्वच्छता सेवा (डब्ल्यूएसएस) में सुधार के लिए एडीबी की पिछली सहायता की पूरक है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले सेवा वितरण को सुनिश्चित करने और इसे लागत प्रभावी बनाने के लिए एक नगरव्यापी स्वच्छता दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
एडीबी के इंडिया रेजिडेंट मिशन के कंट्री निदेशक कोनिशी ने कहा कि उपयोगकर्ताओं की संतुष्टि सुनिश्चित करते हुए प्रणाली संचालन और परिसंपत्ति प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए कम्प्यूटरीकृत रखरखाव और प्रबंधन प्रणाली का शुभारंभ किया जाएगा।
जल सोखने वाले गड्ढे का पुन: उपयोग और भूजल रिचार्जिंग के लिए उपयोग, लिंग-संवेदनशील और समावेशी डिजाइन सुविधाओं के साथ बस मोबाइल शौचालय, वर्षा जल संचयन और सुगठित अवसंरचना और पूर्व-निर्मित सीवरेज उपचार सुविधाओं जैसे कई नवीन समाधान इस परियोजना में जलवायु संवेदनशीलता को बढ़ाएंगे।
यह परियोजना दक्षिण देहरादून में त्रुटिपूर्ण जल नेटवर्क को बदलने के लिए 136 किलोमीटर जल पाइपलाइन प्रणाली का निर्माण करेगी, ताकि 4,000 शहरी गरीबों और कमजोर समूहों सहित अनुमानित 40,000 लोगों को लाभान्वित करने के लिए एक विश्वसनीय और निरंतर जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
जल के कुशल उपयोग और खपत बिलिंग का समर्थन करने के लिए लगभग 5,400 घरों में जल के मीटर भी लगाए जाएंगे।
इसके अलावा, इस परियोजना के तहत देहरादून में सीवेज उपचार संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जो 256 किलोमीटर के संलग्न भूमिगत सीवर नेटवर्क और 117 किलोमीटर के वर्षा जल निकासी नेटवर्क से समर्थित है, जिससे अनुमानित 138,000 निवासियों को लाभ होगा। इनमें 15,000 शहरी गरीब और कमजोर तबके के लोग शामिल हैं।
देहरादून के कुल 17,410 घरों को इस सीवरेज सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
नैनीताल में उन्नत तकनीक और लाइन सीवर पुनर्वास का उपयोग करते हुए पुराने सीवेज उपचार संयंत्र को एक नए संयंत्र के साथ बदलते हुए यह परियोजना लगभग 154,000 लोगों की संपूर्ण आबादी के लिए लचीली और विश्वसनीय स्वच्छता सेवाएं सुनिश्चित करेगी।
एडीबी अपने तकनीकी सहायता विशेष कोष से 2,50,000 डॉलर की तकनीकी सहायता (टीए) अनुदान और अपने जलवायु परिवर्तन कोष से 7,50,000 डॉलर का एक अन्य अनुदान प्रदान करेगा, ताकि एक संपूर्ण मूल्यांकन करते हुए, विज्ञान-आधारित समर्थन के निर्णय लेते हुए, स्मार्ट जलवायु अनुकूल शहरी नियोजन साधनों और क्षमता निर्माण गतिविधियों को विकसित करने के माध्यम से राज्य के जलवायु-अनुकूल शहरी नियोजन और विकास को और मजबूत किया जा सके।- पीआईबी

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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