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आज से 75 वर्ष पहले हुई थी संविधान सभा की पहली बैठक

संविधान सभा की पहली बैठक आज ही के दिन 75 वर्ष पहले हुई थी, जिसकी अध्यक्षता डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा ने की थी, जो सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे। उनके नाम का प्रस्ताव आचार्य कृपलानी ने किया था और उन्हें अध्यक्ष पद पर आसीन किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान सभा की पहली ऐतिहासिक बैठक के 75 वर्ष पूरे होने पर संविधान सभा की महान हस्तियों को नमन किया।
अपने श्रृंखलाबद्ध ट्वीटों में प्रधानमंत्री ने कहा है- “75 वर्ष पहले आज ही के दिन संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। भारत के विभिन्न भागों से, विभिन्न पृष्ठभूमि और यहां तक कि विभिन्न विचारधाराओं वाले महान लोग एकजुट हुए थे, जिनका एक ही उद्देश्य था कि भारतवासियों को एक शानदार संविधान प्रदान किया जाए। इन महान लोगों को नमन है।

संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा ने की थी, जो सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे। उनके नाम का प्रस्ताव आचार्य कृपलानी ने किया था और उन्हें अध्यक्ष पद पर आसीन किया था।

आज, जब हम संविधान सभा की पहली ऐतिहासिक बैठक के 75 वर्ष पूरे होने को याद कर रहे हैं, मैं अपने युवा मित्रों से आग्रह करता हूं कि वे इस गरिमामयी सभा की कार्यवाही और इसमें शरीक होने वाली महान हस्तियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानें। ऐसा करने से बौद्धिक रूप से उनका अनुभव समृद्ध होगा।”– पीआईबी

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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