
Uttarakhand Silk Federation Profit: ‘दून सिल्क’ ब्रांड के 2.34 करोड़ रुपये के उत्पाद बिके, एक करोड़ का शुद्ध मुनाफा
रेशम फेडरेशन की आय का आधार बनी 'कंप्लीट वैल्यू चेन', वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1 करोड़ का शुद्ध मुनाफा कमाया
Uttarakhand Silk Federation Profit: देहरादून, 25 जून 2025: उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन में ‘कम्प्लीट वैल्यू चेन’ प्रणाली लागू होने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियों में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। फेडरेशन ने रेशम उत्पादन, धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 में ‘दून सिल्क’ ब्रांड के तहत 2.34 करोड़ रुपये के रेशमी उत्पाद और धागे बेचे। इससे फेडरेशन ने एक करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ कमाया, जो कि रेशम फेडरेशन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
Uttarakhand Silk Federation Profit: उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कंप्लीट वैल्यू चेन प्रणाली लागू होने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियों को बल मिला, जिससे रेशमी उत्पादों के निर्माण और विक्रय में खासी वृद्धि हुई। इसके अलावा, कंप्लीट वैल्यू चेन के माध्यम से धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन जैसे क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया गया।
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विभागीय अधिकारियों ने बताया कि फेडरेशन के तहत विगत वर्ष 1500 किलो रेशम धागा का उत्पादन किया गया। इसके साथ ही, बुनकरों, ट्विस्टरों और समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर रेशम वस्त्रों का उत्पादन किया गया, जिन्हें फेडरेशन ने अपने ‘दून सिल्क’ ब्रांड के रिटेल काउंटरों पर सफलतापूर्वक बेचा। विभाग के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में फेडरेशन द्वारा लगभग 2.34 करोड़ रुपये के रेशमी उत्पाद और धागों का विक्रय किया गया, जिससे फेडरेशन ने एक करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया।
प्रमुख उपलब्धियाँ (वित्तीय वर्ष 2024-25)
विवरण | राशि/मात्रा |
कुल बिक्री (रेशमी उत्पाद व धागे) | ₹2.34 करोड़ |
शुद्ध मुनाफा | ₹1 करोड़ से अधिक |
रेशम धागा उत्पादन | 1500 किलो |
वर्तमान में, फेडरेशन के तहत 5501 लाभार्थी एवं एसएचजी तथा सहकारी समितियां कार्यरत हैं, जिनमें शामिल हैं:
- 5030 कीटपालक
- 286 बुनकर
- 12 उत्पाद फिनिशिंग
- 24 धागा उत्पादक
- 38 सहकारी समितियां
- 13 स्वयं सहायता समूह
- 98 यार्न बैंक लाभांवित बुनकर
इन सभी के माध्यम से फेडरेशन उच्च गुणवत्ता के रेशमी धागे और रेशम वस्त्रों का उत्पादन कर रहा है।
फार्म टू फैब्रिक परियोजना
इस योजना के तहत फेडरेशन द्वारा जनपद देहरादून व हरिद्वार में 200 लाभार्थियों का चयन किया गया है। परियोजना में शहतूत वृक्षारोपण से लेकर रेशम वस्त्रों के उत्पादन तक लाभार्थियों को शामिल किया गया है। लाभार्थियों को कीटपालन गृह निर्माण हेतु शत-प्रतिशत सब्सिडी के रूप में 1.12 लाख रुपये की धनराशि दी जा रही है, साथ ही वृक्षारोपण हेतु 300 पौधे निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। चयनित लाभार्थियों को शत-प्रतिशत आवश्यक कीटपालन उपकरण भी प्रदान किए जा रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य शहतूती वृक्षों का रोपण कर रेशम उत्पादन को बढ़ावा देना है।
वेस्ट से बेस्ट योजना
इस योजना का उद्देश्य धागाकरण के उपरांत खराब रेशम कोयों की खपत सुनिश्चित करना और कटघई के माध्यम से हैंड स्पन धागे का उत्पादन करना है। इससे एक ओर जहां फेडरेशन की उत्पादन प्रक्रिया में अनुपयोगी खराब रेशम कोयों को उपयोग में लाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर जनजातीय समुदायों की महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा। इससे प्राप्त होने वाले धागे से बने मफलर और मिश्रित शॉल का उत्पादन किया जाएगा, जिसकी बाजार में भारी मांग है।
“उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन में कंप्लीट वैल्यू चेन प्रणाली लागू करने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में फेडरेशन द्वारा 2.34 करोड़ रुपये के रेशमी उत्पाद बेचे गए, जिससे फेडरेशन को एक करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध मुनाफा हुआ। यह उपलब्धि सहकारिता प्रणालियों को सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।” – डॉ. धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड