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उत्तराखंड: देहरादून कैंट से भाजपा विधायक हरबंस कपूर का निधन

देहरादून। जनता के बीच लोकप्रिय रहे देहरादून के कैंट क्षेत्र से भाजपा विधायक हरबंस कपूर का सोमवार सुबह निधन हो गया। करीब 75 वर्षीय हरबंस कपूर लगातार आठ बार विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष पद भी संभाला था।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर हरबंस कपूर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा हैः

 “उत्तराखंड के अपनी पार्टी के वरिष्ठ साथी श्री हरबंस कपूर जी के निधन से दुखी हूं। वे विधायी कार्यों के दिग्गज और अनुभवी प्रशासक थे। वे जनसेवा और सामाजिक कल्याण में अपने योगदान के लिये सदैव याद किये जायेंगे। उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति संवेदनायें। ओम् शांति।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके आवास पर पहुंचकर शोकाकुल परिजनों से मिलकर संवेदनाएं व्यक्त कीं। मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य ने एक लोकप्रिय नेता खो दिया है। वह हमेशा सिद्धांत और मूल्यों की राजनीति के लिए याद किए जाएंगे।

उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हरबंस कपूर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों में मंत्री पदों पर भी रहे। उत्तराखंड राज्य निर्माण से पहले ही हरबंस कपूर उत्तर प्रदेश में चार बार विधायक रह चुके थे। उन्होंने उत्तराखंड के गठन के बाद भी अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा और चार बार विधायक बने।

उनकी पहली जीत 1989 में हुई और तब से वह अपराजेय रहे। 1985 में अपने पहले विधानसभा चुनाव में उन्हें अपनी एकमात्र हार का सामना करना पड़ा। उनका राजनीतिक करियर चार दशक का है। 11 जुलाई 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास और श्रम राज्य मंत्री थे। उन्होंने उत्तराखंड में 2001 से 2002 तक शहरी विकास राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
सादगी प्रिय विधायक हरबंस कपूर जन समस्याओं के लिए हमेशा सजग रहते थे। उनके निधन से उत्तराखंड को अपूर्णीय क्षति हुई है। हम सभी ने एक लोकप्रिय जनसेवक को खो दिया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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