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समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति ने सुझावों के लिए लांच की वेबसाइट

देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को सुझावों के लिए गठित विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम समान नागरिक संहिता के रूप में आज़ादी के अमृत काल में एक बड़ी इबारत लिखने जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, नई सरकार गठन के बाद पहली कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट के लिए समिति के गठन को मंजूरी दी गई थी। उन्होंने समिति के अब तक के कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कि विशेषज्ञ समिति ने तेजी से काम किया है। समिति की अध्यक्ष जस्टिस (से.नि.) रंजना प्रकाश देसाई ने बताया कि समिति ने सुझाव के लिए वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in का शुभारंभ किया है, जिस पर प्रदेश के जनप्रतिनिधि, नागरिक, प्रबुद्धजन, संगठन, संस्थाएं अपने सुझाव अगले 30 दिन अर्थात 7 अक्टूबर तक भेज सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से अपने सुझाव देने का आग्रह करते हुए कहा है कि राज्य सरकार अपने हर वादे को पूरा करने के लिए संकल्पबद्ध है। देश में आज तक किसी भी कानून को बनाते समय इतने बड़े स्तर पर जनता से सुझाव नहीं मांगे गए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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