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कोरोना की संभावित लहर को देखते हुए अस्पतालों में सभी जरूरी व्यवस्थाओं पर जोर

प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल बैठक के बाद मुख्यमंत्री धामी ने अफसरों को निर्देश दिए

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के मद्देनजर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की। बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरी लहर के दौरान, भारत में प्रति दिन 3 लाख मामले देखे गए और सभी राज्यों ने स्थिति को संभाला तथा सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियों को भी जारी रखने की अनुमति दी। उन्होंने कहा, भविष्य में भी हमारी रणनीति में इस संतुलन की झलक होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और हमें उनके सुझावों पर सक्रिय रूप से काम करना होगा। उन्होंने कहा, “शुरुआत में संक्रमण को रोकना हमारी प्राथमिकता थी और अब भी ऐसा ही रहना चाहिए। हमें टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट की अपनी रणनीति को उसी प्रभाव के साथ लागू करना होगा।

प्रधानमंत्री ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र और राज्य के सामूहिक प्रयासों के बारे में चर्चा की। उन्होंने मुख्यमंत्रियों, अधिकारियों और सभी कोरोना योद्धाओं के प्रयासों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि कोरोना की चुनौती पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। ओमाइक्रोन और इसके सब-वेरिएंट समस्या पैदा कर सकते हैं, जैसा कि यूरोप के कई देशों के मामले में देखा जा रहा है। सब-वेरिएंट से कई देशों में कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत कई देशों की तुलना में स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा, फिर भी, पिछले दो हफ्तों में, कुछ राज्यों में बढ़ते मामलों से पता चलता है कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ओमाइक्रोन लहर को दृढ़ संकल्प और बिना किसी घबराहट के संभाला गया और पिछले दो वर्षों में, कोरोना से लड़ने के सभी पहलुओं, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे, ऑक्सीजन की आपूर्ति या टीकाकरण को मजबूत किया गया है। तीसरी लहर में, किसी भी राज्य ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर होते नहीं देखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीका प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंच गया है और यह गर्व की बात है कि 96 प्रतिशत वयस्क लोगों को कम से कम खुराक का एक टीका लगाया जा चुका है और 15 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 84 प्रतिशत लोगों ने दोनों खुराक प्राप्त की हैं। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीन कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा बचाव है।

प्रधानमंत्री ने गंभीर इन्फ्लूएंजा के मामलों के शत-प्रतिशत परीक्षण और सकारात्मक मामलों के जीनोम सीक्वेंसिंग, सार्वजनिक स्थानों पर कोविड के अनुकूल व्यवहार और घबराहट से बचने पर जोर दिया। उन्होंने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और चिकित्सा से जुड़े मानवशक्ति के निरंतर उन्नयन पर भी जोर दिया।

इसके बाद, सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कोविड अनुरूप व्यवहार का पूर्णतः अनुपालन कराने तथा अस्पतालों का फायर सेफ्टी ऑडिट करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा, यह सुनिश्चित किया जाए कि कोरोना की संभावित लहर के दृष्टिगत अस्पतालों में सभी व्यवस्थाएं हों और पर्याप्त मैन पावर हो। टेस्ट ट्रैक एवं ट्रीटमेंट पर विशेष फोकस रखा जाए। उन्होंने राज्य में टीकाकरण अभियान में और तेजी लाने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि 12 से 14 वर्ष के आयु के बच्चों में वैक्सीनेशन की गति में और तेजी लाए जाने की आवश्यकता है। टीकाकरण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए।

उन्होंने कहा कि हमें सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियों के साथ कोविड पर नियंत्रण रखना होगा। इस अवसर पर मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव राधिका झा, अपर सचिव सोनिका, प्रो. दुर्गेश पंत भी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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