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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किए बदरीनाथ-केदारनाथ के दर्शन

देहरादून। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को सपरिवार भगवान श्रीकेदारनाथ के दर्शन किए। उनके साथ राज्यपाल डॉ. कृष्णकान्त पाल और मुख्यमंत्री सिंह त्रिवेन्द्र रावत भी बाबा केदार के दरबार में पहुंचे। सुबह करीब सात बजकर छप्पन मिनट पर राष्ट्रपति सेना के हेलिकाप्टर से श्री केदारनाथ मंदिर के पीछे हेलीपैड (एमआई17) पर पहुंचे।

इसके बाद उन्होंने एटीवी के जरिये केदारपुरी का भ्रमण किया और फिर श्रीकेदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की। लगभग बीस मिनट तक उन्होंने मंदिर में पूजा अर्चना की और रूद्राभिषेक किया। इस अवसर पर मंदिर समिति ने राष्ट्रपति को पारम्परिक पकवान रोट और अरसे रिंगाल की टोकरी में भेंट किए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केदारनाथ के मुख्य पुजारी तथा अन्य तीर्थ पुरोहितों से केदारनाथ के बारे में जानकारी भी ली।

इसके बाद राष्ट्रपति बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हो गए। इस अवसर पर गढ़वाल आयुक्त दिलीप जावलकर, डीआईजी पुष्पक ज्योति, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल, पुलिस अधीक्षक पीएन मीना सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रपति वायुसेना के विमान से सुबह करीब सवा 11 बजे माणा स्थित सेना के हेलीपैड पहुंचे। राष्ट्रपति 11 बजकर 45 बजे श्री बदरीनाथ मंदिर पहुंचे औऱ लगभग 20 मिनट तक भगवान बदरी विशाल की विधिवत पूजा अर्चना कर देश की खुशहाली एवं समृद्धि की कामना की।

 

भगवान बदरीनाथ धाम में अखंड ज्योति के दर्शन और पूजा अर्चना के बाद राष्ट्रपति को राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने भगवान बदरीनाथ के धाम का प्रतीक चिह्न, शाल एवं रिंगाल की टोकरी में भगवान बदरीनाथ का प्रसाद भेंट किया। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी राष्ट्रपति को स्मृति चिह्न भेंट किया।

राष्ट्रपति के आगमन को लेकर माणा स्थित सेना के हेलीपैड से लेकर पूरे धाम में सुरक्षा के कडे इंतजाम किए गए थे। इस अवसर पर डीआईजी एआर चौहान, सेना ब्रिगेडियर ई गोविन्द, जिलाधिकारी आशीष जोशी, पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट, मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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