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सबसे पुरानी है उर – नम्मू की पत्थरों पर लिखी कानूनी संहिता

सैन मैरिनो गणराज्य का संविधान दुनिया का सबसे पुराना संविधान

न्यूज लाइव डेस्क

किसी भी देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण उसका संविधान होता है। अपने संविधान के नियमों, उपनियमों और निर्देशों का पालन करना उस देश के नागरिकों का प्रथम कर्तव्य होता है। दुनिया के सबसे पुराने संविधान की बात करें तो सैन मैरिनो गणराज्य (The Republic of San Marino) का नाम सामने आता है, जो दुनिया के सबसे पुराने संविधानों (world’s oldest constitutions) में से एक है और जो प्रभावी है।

वहीं, उर-नम्मू की संहिता (लगभग 2100-2050 ईसा पूर्व) दुनिया की सबसे पुरानी मौजूदा कानून संहिता है। उर-नम्मू की कानूनी संहिता( The legal code of Ur-Nammu) लगभग 2050-2040 ईसा पूर्व की है। यह सबसे पहले ज्ञात लिखित कानूनी संहिताओं में से एक होने का दर्जा रखती है। उर-नम्मू की संहिता प्राचीन मेसोपोटामिया से जुड़ी एक अद्वितीय कानूनी संहिता है, जबकि सैन मैरिनो का संविधान सरकार के संगठन, नागरिक अधिकारों और शासन सिद्धांतों को रेखांकित करने वाला एक व्यापक दस्तावेज है।

सुमेरियन शहर-राज्य उर के शासक राजा उर-नम्मू को प्राचीन दुनिया में बाद के कानूनी संहिताओं का अग्रदूत माना जाता है, जैसे बेबीलोन की अधिक प्रसिद्ध हम्मुराबी संहिता। इसका अस्तित्व कानूनी प्रणालियों के प्रारंभिक विकास और शासन के लिए कानूनों को संहिताबद्ध करने के विचार को दर्शाता है।

उर-नम्मू की संहिता लिखित कानूनी संहिता के सबसे पहले ज्ञात उदाहरणों में से एक है। यह सुमेरियन सभ्यता के दौरान लगभग 2050-2040 ईसा पूर्व की है। यही बात इसको ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बनाती है।

उर-नम्मू संहिता के टुकड़े खोजे गए हैं, जिससे इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को इसकी सामग्री का अध्ययन और व्याख्या करने की अनुमति मिली है। इन टुकड़ों का अस्तित्व प्राचीन मेसोपोटामिया की कानूनी प्रथाओं को लेकर जानकारी प्रदान करता है।

खुद को अपनी प्रजा के पिता के रूप में प्रस्तुत करते हुए, उर-नम्मू ने अपनी प्रजा को एक परिवार के रूप में और अपने कानूनों को एक घर के नियमों के रूप में सोचने के लिए प्रोत्साहित किया। मृत्युदंड के अपराधों को छोड़कर, सज़ाएं जुर्माने के रूप में ली गईं, उसी तरह जैसे किसी बच्चे को दुर्व्यवहार करने पर उसके पसंदीदा खिलौने से वंचित किया जा सकता है। उर-नम्मू ने इस समझ के साथ कोड जारी किया कि उनके लोग जानते थे कि एक-दूसरे के साथ सम्मान के साथ कैसे व्यवहार करना है और चूक के लिए जुर्माना एक रिमाइंडर के रूप में काम करेगा।

इन कोड में नागरिक और अपराध संबंधी कानून के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें पारिवारिक कानून, संपत्ति विवाद और चोरी और हत्या जैसे अपराधों को संबोधित किया गया है।

इस कोड का श्रेय सुमेरियन शहर-राज्य उर के शासक राजा उर-नम्मू को दिया जाता है। उर-नम्मू की संहिता को प्राचीन दुनिया में बाद के कानूनी संहिताओं का अग्रदूत माना जाता है, जैसे बेबीलोन की अधिक प्रसिद्ध हम्मुराबी संहिता। इसका अस्तित्व कानूनी प्रणालियों के प्रारंभिक विकास और शासन के लिए कानूनों को संहिताबद्ध करने के विचार को दर्शाता है।

यह संहिता न्याय और निष्पक्षता की भावना को दर्शाती है, सज़ा अक्सर अपराध की गंभीरता के अनुपात में होती है। न्याय के सिद्धांतों पर इस जोर ने बाद की कानूनी प्रणालियों के लिए आधार तैयार किया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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