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लालची डॉगी और पानी में परछाई

किसी शहर में रहने वाला एक डॉगी बहुत लालची था। एक दिन मीट की दुकान से मीट का टुकड़ा लेकर दौड़ लिया। वह स्वयं पर बड़ा गर्व महसूस कर रहा था। वह सोच रहा था कि शहर के किसी डॉगी को इतना बड़ा टुकड़ा कभी नहीं मिला होगा। दौड़ता हुआ वह नदी किनारे पहुंचा और इत्मीनान से मीट खाना शुरू किया। अभी उसने खाना शुरू ही किया था कि नजर पानी पर पड़ गई।

वह देख रहा था कि उसकी तरह का एक और बड़ा डॉगी भी उसके बराबर मीट खा रहा है। वह यह अंदाजा नहीं लगा पा रहा था कि वह पानी में अपना प्रतिबिंब देख रहा है, क्योंकि वह तो अभिमान में यह सोच रहा था कि शहर में किसी डॉगी को ऐसा अवसर कभी नहीं मिला और न ही मिलेगा। उसने सोचा क्यों न इस डॉगी से उसका खाना छीन लिया जाए। वह तो खुद को बहुत बहादुर जो समझ रहा था।

बिना कुछ सोचे समझे वह पानी में दिख रहे डॉगी पर झपट गया। पानी में गिरने पर ही उसे अपनी भूल का अहसास हुआ कि यह तो उसकी परछाई थी। डॉगी पर झपटने के चक्कर में उसके मुंह में फंसा मीट का टुकड़ा भी पानी में गिरकर बह गया। उसे अपनी गलती महसूस हुई कि लालच में इंसान हो या जानवर, अपना अच्छा बुरा नहीं समझ पाता। (अनुवादित)

 

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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