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बरसात में रखें पेट का ख्याल

बरसात का मौसम अब पूरी तरह शुरू हो चुका है ऐसे में तरह-तरह की बीमारियां भी लगती हैं। अक्सर लोगों का पेट खराब हो जाता है। वातावरण में नमी काफी बढ़ने से बैक्टीरिया के पनपने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। पेट में इंफेक्शन होके कई कारण हो सकते हैं। कई बार गलत खानपान की वजह से तो कई बार सफाई से नहीं रहने की वजह से पेट से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। इंफेक्शन हो जाने से बार-बार मोशन होना, कमजोरी होना, उल्टी होना और कभी-कभी बुखार होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अगर पेट खराब हो गया है और आप दवाई नहीं खाना चाहते तो इस प्रकार के घरेलू उपाय करें।

  • पेट खराब होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। आप फलें का जूस और सब्जियों का रस भी ले सकते हैं। बेहतर होगा अगर पानी में लवण मिला हो। आप चाहें तो नींबू पानी, नमक-चीनी का घोल या फिर नारियल पानी ले सकते हैं। गाजर का जूस भी ऐसे समय में काफी फायदेमंद होता है।
  • अदरक का इस्तेमाल काफी कारगर होता है। इसमें एंटीफंगल और एंटी-बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं, जो पेट दर्द में राहत देता है। एक चम्मच अदरक पाउडर को दूध में मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
  • पेट दर्द में दही का इस्तेमाल काफी फायदेमंद रहता है। दही में मौजूद बैक्टीरिया संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिससे पेट जल्दी ठीक होता है। साथ ही ये पेट को ठंडा भी रखता है।
  • अगर आप बार-बार हो रहे मोशन से परेशान हो चुके हैं तो केले का इस्तेमाल आपको राहत देगा। इसमें मौजूद पेक्टिन पेट को बांधने का काम करता है। इसमें मौजूद पोटैशियम की उच्च मात्रा भी शरीर के लिए फायदेमंद होती है।
  • अगर आपको लगातार दस्त हो रहे हों तो एक चम्मच जीरा चबा लें। जीरा चबाकर पानी पी लेने से दस्त बहुत जल्दी रुक जाते हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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