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होम क्वारान्टाइन का उल्लंघन करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई : मुख्यमंत्री

  • ग्राम प्रधानों के नेतृत्व में स्थानीय प्रशासनिक कर्मचारी कार्य करें
  • जन जागरूकता के लिए जिलाधिकारी प्रबुद्धजनों से करें संवाद
  •  कोविड-19 की प्रदेश में नई स्थिति को चुनौती की तरह से लिया जाए

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि होम क्वारान्टाइन का उल्लंघन करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। ग्राम स्तर पर कार्यरत प्रधानों, आशा व आंगनबाड़ी  कार्यकर्ताओं की शिकायतों को गम्भीरता से लिया जाए।

वीडियो कान्फ्रेंसिंग पर शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मास्क, सैनिटाइजेशन, फिजिकल डिस्टेंस आदि बातों को लेकर निरंतर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों, मीडिया व समाज के अन्य प्रबुद्धजनों के साथ संवाद बनाए रखें, जो लोग उत्तराखंड आना चाहते हैं, उन्हें लाया जाना है। बाहर से घर लौटने वालों को मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त रखना है और उन्हें व्यस्त भी रखना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में बनाए जा रहे क्वारान्टाइन सेंटरों की साफ सफाई के लिए ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समितियों को एनएचएम से पांच-पांच हजार रुपये दिए जा रहे हैं। प्रधान, ग्रामीण समाज का महत्वपूर्ण अंग होते हैं। इसे देखते हुए प्रधानों को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अकेले इस काम को देखना है। ग्राम स्तर के प्रशासनिक कर्मचारियों को उनके नेतृत्व में काम करना है। प्रधानों का जो भी व्यय होता है, उसकी प्रतिपूर्ति प्राथमिकता से की जाए।

मुख्यमत्री ने कहा कि इन दिनों पॉजिटिव केस पहले की अपेक्षा अधिक बढ़े है, लेकिन हमारी तैयारी बेहतर है। पेसेंट केयर का हमारा रिकार्ड बेहतर रहा है। अभी तक बेहतर तरीके से जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। अब नई चुनौती आई है। इस चुनौती पर व्यावहारिकता और कुशलता के साथ खरा उतरना है।

उन्होंने कहा कि कोरोना से लंबी लड़ाई है। इसके लिए हमें मनोवैज्ञानिक रूप से भी तैयार रहना है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग लें। हर वार्ड में चार-पांच लोगों की एक टीम हो। लोगों की आजीविका के लिए भी योजनाओं पर काम करना है। किसानों को बीज उपलब्ध कराया जाए। इसी प्रकार केंद्र व राज्य सरकार ने जो योजनाएं घोषित की हैं, उनसे लोग लाभान्वित हों, यह सुनिश्चित किया जाए।

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि जो भी लोग बाहर से अपने घरों को आ रहे हैं, उन पर सतत निगरानी रखनी है। इसमें जिलाधिकारी ग्रामीण स्तर के स्वास्थ्य कर्मियों का उपयोग करें। आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जरूरी जांच की जाए। एक-एक केस को ट्रेस करना है और उनका हेल्थ चेकअप किया जाए। बीआरटी को सक्रिय रखा जाए।

मुख्मंत्री ने कहा कि कॉल सेंटर के माध्यम से भी आने वाले लोगों से लगातार सम्पर्क रखा जाता है। रेड जोन से आने वालों को इंन्स्टीट्यूशनल क्वारान्टाइन में रखा जाना है। अच्छी प्रतिष्ठा वाले एनजीओ का भी सहयोग लिया जा सकता है, जिस प्रकार गांवों में प्रधानों का सहयोग लिया जा रहा है, उसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निकायों को भी अधिकृत किया जाएगा। पार्षदों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा कि क्वारान्टाइन का उल्लंघन करने वालों, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क न पहनने वालों, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई की जानी है। हमें लोगों का समझाना भी है और जो न समझे उस पर कार्रवाई की जानी है।

सचिव स्वास्थ्य नितेश झा ने प्रदेश ने बताया कि बाहर से लोगों के आने के बाद पॉजिटिव केस बढ़ रहे हैं। अभी तक 120 पॉजिटिव केस हो चुके हैं, इनमें से 53 रिकवर हो चुके हैं। 66 एक्टिव केस हैं। अभी जितने भी केस हैं, उनमें कोई भी गम्भीर नहीं है। उन्होंने बताया कि हमारे पास आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, पीपीई किट, एन 95 मास्क, अस्पताल/फेसिलिटी सेंटर की पर्याप्त संख्या में व्यवस्था है।

सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि प्रदेश में वापस आने के लिए अभी तक 2 लाख 33 हजार से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। लगभग 1 लाख 29 हजार लोग वापस आ चुके हैं। अभी तक 10 ट्रेनें आ चुकी हैं और दो ट्रेनें मार्ग में हैं। निर्धारित एसओपी के अनुसार चेकिंग की पूरी प्रक्रिया की जाती है। जिलाधिकारियों को आने वाले लोगों का पूरा विवरण उपलब्ध कराया जाता है।

बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार केएस पंवार, सचिव अमित नेगी, राधिका झा, दिलीप जावलकर, डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार, डॉ.. पंकज कुमार पांडे सहित अन्य अधिकारी और जिलाधिकारी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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