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मुख्यमंत्री ने कहा, सोशल डिस्टेंस को ब्रह्म वाक्य समझकर इसका पालन करे

मुख्यमंत्री ने फेसबुक लाइव के माध्यम से राज्यवासियों को संबोधित किया

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हम सब जान रहे हैं कि कोरोना से लड़ने में हमारे अनेक लोग बिल्कुल फ्रंटलाइन में लड़ रहे हैं। सब जानते हैं कि यह एक वैश्विक महामारी है, ऐसे में जो भी हमारे वॉरियर्स हैं, हम उनका सहयोग करें । हमारे डॉक्टर 24-24 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। पुलिस के जवान और तमाम जो उनके सहयोगी हैं, वो रात दिन चौराहों पर खड़े होकर के मोहल्लों में घूम घूम कर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आप भी उनकी चिंता करें, क्योंकि वह सारा जोखिम आपके लिए, मेरे लिए, हमारे लिए उठा रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आप उनकी जरूर चिंता करेंगे।

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फेसबुक लाइव पर प्रदेश को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने बार-बार यह आग्रह किया है कि सोशल डिस्टेंस को हर हाल में बना कर रखना है, नहीं तो हमारी सारी तपस्या बेकार हो जाएगी। यह सब बेकार हो जाएगा और इसलिए इस वाक्य को हम ब्रह्म वाक्य समझ करके इसका पालन करेंगे तो इस बीमारी से हम लोग न केवल निजात पाएंगे बल्कि हम अपने पड़ोसी, अपने प्रदेश और अपने देश को भी बचा पाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश की जनता से कहा है कि पांच अप्रैल को हम अपने घरों में रात नौ बजे बत्ती बुझा करके और बाहर अपनी बालकनी में, अपने दरवाजे पर खड़े होकर नौ मिनट हम लोग रोशनी करें, दीया जलाएं, लालटेन जलाएं, हम टॉर्च जलाएं, मोमबत्ती जलाएं या फिर मोबाइल की फ्लैश लाइट को जलाएं और अपनी एकता का परिचय दें। हम कोरोना के खिलाफ एकजुट हैं। इस एकजुटता का परिचय हमको पांच अप्रैल रात्रि 9ः00 बजे से 9 मिनट यानी कि 9ः09 तक हमको अपनी एकता का संदेश देना है कि हम सब सैनिक बनकर के कोरोना को इस देश से भगाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश के गरीबों के लिए गरीब कल्याण पैकेज दिया है और उसका पैसा एकाउंट में आना शुरू हो गया है। राज्य सरकार ने भी जो श्रमिक हैं, उनके एकाउंट में पैसा डालना शुरू कर दिया है। जब कभी  बैंक में जाएं पैसा लेने के लिए  तो उसमें  सामाजिक दूरी बनाकर रखेंगे, कम से कम डेढ़ मीटर की दूरी। प्रधानमंत्री जी ने बार बार यह आग्रह किया है कि जो यह सोशल डिस्टेंस है, इसको हमें हर हालत में बना के चलना है।

उन्होंने कहा कि कई जगह हमारे यहां वृद्धाश्रम हैं, अनाथ आश्रम हैं, उनकी भी हम चिंता करें कि वहां पर कोई भूखा ना सोए। उनका दायित्व भी हमारे ऊपर है और इसलिए उनकी हम जरूर चिंता करेंगे। यह लड़ाई हो सकता है, हमको लंबी लड़नी पड़े। ऐसे में हमको उसके लिए पूर्व तैयारी करनी चाहिए।

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इस दृष्टि से एनसीसी, एनएसएस और तमाम एनजीओ हैं, जो सामाजिक सरोकार रखते हैं और ऐसे सामाजिक संगठन, हमको कभी भी आपके सहयोग की आवश्यकता पड़ सकती है। जो आर्थिक चिंतक हैं, सामाजिक चिंतक हैं उनसे आग्रह है  कि एक दिन जब यह लॉकडाउन हटेगा, जो आर्थिक नुकसान हमारे राज्य को हुआ है। इसे कैसे भर सकते हैं उसके लिए कौन से प्रयास करने हैं। इस बारे में  कोई सुझाव हो तो सरकार को दें। लॉक डाउन हटने पर भीड़ को रोकने के लिए हम किस तरह से समाज को जागरूक करें, कैसे हम उनको एजुकेट करें, किस ढंग से हम अपनी व्यवस्था बनाएं, कैसे प्लानिंग करें इस संबंध में सुझाव आमंत्रित हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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