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सर्वेः शादी करने वाले कुंवारों से ज्यादा खुश

अक्सर लोग यह कहते हुए सुने जाते हैं कि शादी करके पछता रहा हूं। यह बात मजाक में या गंभीरता से कही  जाती रही है। लेकिन एक नए सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि अविवाहितों से ज्यादा खुश रहते हैं शादी करने वाले। आप माने या न माने, लेकिन यह एक सर्वे की हकीकत है। 

शादी करने तामउम्र खुश रहते हैं और यह बात बुढ़ापे में ज्यादा खुशी वाली होती है। रिसर्च मे ंकहा गया है कि विवाह का सकारात्मक प्रभाव उन लोगों के लिए ज्यादा रहता है, जो अपने जीवन साथी का सबसे अच्छे दोस्त के रूप में साथ निभाते हैं। 

साइ ब्लाग में प्रकाशित एक रिपोर्ट में सर्वे के सह लेखक प्रोफेसर जॉन हेलवेल के हवाले से बताया गया है कि दो चरणों में हुए इस सर्वे में ब्रिटेन के 370,000 लोगों को शामिल किया गया। सर्वे में पता चला कि शादी के कई वर्ष बाद भी विवाहित अपनी जिंदगी से खुश हैं। यहां विवाहित होना सामाजिक प्रभाव और खुशी में वृद्धि का कारण है।

रिपोर्ट में प्रोफेसर हेलवेल कहते हैं कि शादी के बेहतर फायदे उन लोगों के लिए बहुत अधिक हैं, जो अपने जीवन साथी को अच्छे मित्र के रूप में सम्मान देते हैं। 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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