Blog Liveवीडियो न्यूज़

मूर्तिकारों में श्री गणेश चतुर्थी का उत्साह

डोईवाला। श्री गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरों पर हैं और मूर्तिकारों में भी खूब उत्साह है। पूरे वर्ष में यहीं अवसर होता है, जब उनकी बनाई मूर्तियां खरीदी जाती हैं।

राजस्थान के पाली जिले के एक परिवार ने डोईवाला में प्रभु श्री गणेश जी और श्री विश्वकर्मा जी की मूर्तियां बनाई हैं। मूर्तियां बनाने वालीं विद्या देवी बताती हैं, यह मिट्टी राजस्थान से ही लेकर आए हैं। हमें एक छोटी मूर्ति बनाने में चार से पांच दिन लग जाते हैं। उनकी बेटियां शोभना और कल्याणी भी मूर्तियों में खूबसूरत रंग भरते हैं। बच्चों को यह हुनर उनसे से ही मिला है। अभी उनके पास लगभग दो सौ से ज्यादा मूर्तियां हैं, पर विश्वास है कि इन सबकी बिक्री हो जाएगी।

विद्या बताती हैं, सबसे बड़ी मूर्ति लगभग 30 हजार रुपये से अधिक की है। मूर्तियां बनाने में बहुत बारीक से बारीक बात का ध्यान रखा जाता है। हथेलियां, अंगुलियां, नाखून तक को बड़ी सावधानी से बनाया जाता है और ध्यान रखा जाता है कि कहां कौन सा रंग भरा जाए। हम पूरी कोशिश करते हैं कि मूर्ति में कोई कमी न रह जाए।

वो बताते हैं, हमें अच्छा लगता है कि हमारी बनाई मूर्तियों की लोग बहुत धूमधाम, श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना करते हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button