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युवाओं के लिए अपना रोजगार शुरू करने का अवसर

जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग जिला स्तर पर स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए समिति बना रहा

रुद्रप्रयाग। उद्यमशीतला को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार स्टार्ट अप इंडिया योजना चला रही है। इसमें रोजगार व उद्योग के लिए फंडिंग, मार्गदर्शन एवं सहायता प्रदान की जा रही है। जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग ने पहल करते हुए जिला स्तर पर स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक समिति बनाने का निर्णय लिया है। समिति जिलेभर में स्टार्टअप योजना का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक लोगों का मार्गदर्शन करेगी।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि उद्योग विभाग की निगरानी में जिले में नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष समिति का गठन किया जाना है। समिति का उद्देश्य नवाचार और पोषण के लिए एक मजबूत सिस्टम का निर्माण करना है, जो जिले एवं युवाओं के स्थाई आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

जिलाधिकारी ने बताया कि जिले में उद्यम शुरू करने के इच्छुक लोग जिला कार्यालय एवं उद्योग विभाग से संपर्क कर सकते हैं। युवाओं की रूचि के अनुसार संबंधित विभागों के अधिकारी उनको व्यवसाय करने में पूरी सहायता देंगे तथा समय-समय पर मार्गदर्शन भी किया जाएगा।

जिलाधिकारी ने बताया, जिले में उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए लगातार समीक्षा बैठक भी की जाएंगी। अपना उद्यम शुरू कर रहे व्यक्तियों एवं अनुभवी उद्यमियों के सुझाव भी समय-समय पर लिए जाएंगे, ताकि आने वाले समय में अपना स्टार्टअप शुरू करने के इच्छुक युवाओं को परेशानी का सामना न करना पड़े।

उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि अधिक से अधिक लोग स्टार्ट योजनाओं का लाभ लें एवं व्यक्तिगत और जिले को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए कदम उठाएं। इसमें कई योजनाएं ऐसी भी हैं, जिनमें सब्सिडी भी मुहैया कराई जाती है। ऐसे में उद्यम शुरू करने वाले व्यक्ति को आर्थिक भार का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।

स्टार्ट अप से जुड़ी योजनाएं

1. स्टार्ट अप इंडिया
2. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
3. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
4. स्टैंड अप इंडिया योजना

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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