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डेंगू, मलेरिया को रोकने के लिए समय रहते तैयारियां कर लें अधिकारीः मिशन निदेशक

देहरादून। न्यूज लाइव

उत्तराखंड में आगामी महीनों में वेक्टर जनित रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया व जापानी इन्सेफेलाइटिस की रोकथाम एवं नियंत्रण पर राज्य स्तरीय संवेदीकरण कार्यशाला तथा समीक्षा बैठक का आयोजन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक स्वाति एस भदौरिया की अध्यक्षता में किया गया।

मिशन निदेशक ने सभी जनपदों को निर्देशित किया कि सभी चिकित्सालयों में समस्त डेंगू संबंधित औषधियां, मच्छरदानी, जांच किट एवं अन्य सामग्रियों का समय भीतर क्रय कर लिया जाए। यह भी निर्देश दिए कि शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी डेंगू लार्वा के पनपने के स्थान को चिन्हित कर नष्ट करें एवं जन समुदाय में वृहद प्रचार-प्रसार किया जाए।

निदेशक ने संबंधित अधिकारियों को पंचायती राज विभाग, ग्राम प्रधानों से समन्वय स्थापित करते हुए डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण की कार्यवाही करने तथा ब्लॉक स्तर पर अन्य विभागों से समन्वय बनाकर कार्यवाही करने को कहा। उन्होंने कहा कि स्कूलों में भी दिशा-निर्देश जारी करें, जिसमें स्वच्छता एवं पूरी यूनिफॉर्म संबंधित दिशा निर्देश हों।

बैठक में डॉ. पकंज सिंह, प्रभारी अधिकारी, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से डेंगू की स्थिति के बारे में बताया। उन्होंने सभी जनपदों को निर्देश दिए कि डेंगू रोग के फैलने के दृष्टिगत अभी से समय रहते तैयारियां पूर्ण कर ली जाएं। आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर डेंगू के लार्वे को पनपने से रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के निर्देश दिए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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