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आपदा से सीखें और सुरक्षित भविष्य की तैयारी करें

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यह दिवस हमारे सैनिकों, अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस को समर्पित किया जाता है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर हमेशा लोगों की सुरक्षा को लेकर तैयार होते हैं।

उन्होंने कहा कि 04 मार्च से 10 मार्च तक सुरक्षा की दृष्टि से औद्योगिक दुर्घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। 04 मार्च 1972 से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है। इस साल राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस की थीम ‘आपदा से सीखें और सुरक्षित भविष्य की तैयारी करें’ है।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आपदाओं से हम सबक सीखें और कैसे लोगों को सुरक्षित रख सखते हैं, इस पर चितंन-मनन होगा। सुरक्षा में लगी सभी एजेंसियों को भी मुख्यमंत्री ने शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से संवेदशील राज्य है। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से राज्य में अनेक कार्य किए जा रहे हैं। राज्य में इन्सीडेंट रिस्पांस सिस्टम को काफी मजबूत किया गया है।

Key Words
National Security Day, Disaster in Uttarakhand, Disaster Sensitive Area in Uttarakhand, Chief Minister of Uttarakhand

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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