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स्वाद के साथ सेहत का भी खजाना है आम

रसीले आमों का स्वाद किसे पसंद नहीं होता गर्मियों के मौसम का इंतजार ही हम आम असली स्वाद पाने के लिए करते है। बाजार में भले ही कितनी ही पेय पदार्थ आ जाएं जो ये दावा करें वे असली आम का स्वाद देते हैं पर जो मजा आम को छिलके के साथ अपने हाथ में लेकर खाने में है वो रासायनिक ड्रिंक्स में कहां। आम के स्वाद के साथ ही कई अन्य लाभ भी हैं। इसी लिए इसे फलों का राजा भी कहा जाता है। ऐसे में यदि हम आपसे कहें कि आप खाने से न सिर्फ स्वाद मिलता है, बल्कि यह सेहत का भी खजाना है तो यह कहना गलत नहीं होगा।
अगर आप अपने बढ़े वजन से परेशान हैं, तो आप आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। यह स्वाद के साथ आपको मोटापा से निजाद भी दिलाता है। मोटापा कम करने के लिए आम बहुत अच्छा है आम की गुठली के रेशे अतिरिक्त चर्बी को कम करते हैं। आम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कोलोन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में लाभकारी माना गया है। इससे ल्यूकेमिया में भी फायदा होता है। आम में पाया जाने वाला ग्लूटामिन एसिड याददाश्त को तेज करता है। आम खाने से आपका पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। इसमें कई तरह के एंजाइम्स होते हैं। ये प्रोटीन को तोड़ने में मददगार होते हैं। जो भोजन को जल्दी पचाने में सहायक साबित होता है। आम में विटामिन ही नहीं फाइबर भी होता है। फाइबर उन लोगों के लिए बहुत ही अच्छा होता है जिन्हें अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है। इससे बैड कोलेस्ट्रॉल को संतुलन में लाने में भी मदद होती है। आम एक ऐसा फल है, जिसमें विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है। विटामिन ए आपकी आंखों के लिए बहुत अच्छा होता है। अगर आप लगातार कम्प्यूटर पर बैठे रहते हैं या ऐसे काम करते हैं, जिनसे आंखों को दर्द होता है, तो यह उससे राहत देता है। इसके अलावा आम में विटामिन सी भी होता है। आम में मौजूद टरटैरिक एसिड और साइर्टिक एसिड शरीर के क्षारीय तत्वों को संतुलित बनाता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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