Blog LiveFeaturedUttarakhandVillage TourWomen

इन महिलाओं ने अपने गांव में बांज का जंगल बना दिया

रुद्रप्रयाग में श्रीकेदारनाथ हाईवे पर खुमेरा गांव की महिलाएं अब दूसरा जंगल बनाने की तैयारी में

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

रुद्रप्रयाग में श्रीकेदारनाथ हाईवे पर बेहद सुंदर गांव है खुमेरा, जहां महिलाएं बिना किसी शोर और प्रचार के हर साल हरेला और पूरे बरसात में बांज के पौधे रोपती हैं। उनके लिए हरेला मनाने का मतलब सिर्फ पौधे रोपना ही नहीं है, वो इनकी देखरेख भी करती हैं। गोबर की खाद और पानी देने के साथ, पौधों को नियमित रूप से देखना उनकी दिनचर्या में शामिल रहता है। इसी देखरेख से गांव से बाहर बांज का एक जंगल तैयार हो गया, जिस पर इन महिलाओं को गर्व है और वो इसे अपनी पीढ़ियों के लिए किसी सौगात के रूप में  देखती हैं।

श्रीकेदारनाथ मार्ग पर ब्यूंगगाड़ के पास से हम खुमेरा गांव जाने के लिए हल्की चढ़ाई से होते हुए आगे बढ़ रहे थे। जैसे-जैसे ऊपर की ओर चल रहे थे, वैसे-वैसे प्रकृति को पास से देखने का मौका मिल रहा था। गांव में हरेला पर्व मनाया जा रहा था, लोग पास में ही सिंह भवानी माता के मंदिर में पूजा के लिए जा रहे थे। हमें जानकारी मिली कि खुमेरा के राजकीय इंटर कॉलेज के पास महिलाएं पौधारोपण कर रही हैं। खेतों के बीच होते हुए छोटी-छोटी जलधाराओं को पार करते हुए करीब एक किमी. चलकर उस जगह पर पहुंच गए, जहां नौ महिलाएं ग्राम पंचायत की प्रधान अनीता देवी के साथ पौधे रोप रही थीं।

रुद्रप्रयाग जिला के खुमेरा गांव में पौधारोपण करतीं ग्राम प्रधान अनीता नेगी। फोटो- राजेश पांडेय

दोपहर करीब 12 बजे का समय था। कोई महिला कुदाल और कोई सबल से पौधों के लिए गड्ढे खोद रही थीं और कोई पौधों को रोपने में व्यस्त थीं। जिस जगह पर पौधा रोपण हो रहा था, वहां बांज का छोटा जंगल है। ग्राम प्रधान अनीता बताती हैं, यहां भूस्खलन की ज्यादा आशंका रहती है, इसलिए पौधे लगाकर इस समस्या से निजात पा सकते हैं। हम सभी लगभग 17 साल से यहां पौधे लगा रहे हैं। इस छोटे से जंगल में बांज के पांच सौ से ज्यादा पेड़ हैं, जो महिलाओं और बच्चों ने लगाए हैं। अब हम एक और जंगल बनाने की तैयारी कर रही हैं।

ग्रामीण अनीता नेगी बताती हैं, बांज के जंगलों से निकलने वाला पानी बहुत अच्छा होता है। इनकी पत्तियां हमारे पशु बड़े चाव से खाते हैं। ये शुद्ध हवा देते हैं।

“हम अपने पशुओं के लिए घास-पत्तियां लाने को दिनभर जंगल में रहते हैं, ये पेड़ पौधे की हमारे सबकुछ हैं। आसपास आप जितने भी पेड़ों को देख रहे हैं, वो हमने ही लगाए हैं। हमने एक जंगल तैयार कर दिया। हमें अब दूसरा जंगल तैयार करना है और भी अधिक गाय भैंस रखने हैं। हमारे बहू बेटियों के लिए यह सुविधा की बात होगी। एक महिला ने 50-60 पेड़ लगा दिए हैं। यहां कल भी पेड़ आएंगे, हम कल भी यहां पेड़ लगाएंगे। हम जंगल तैयार करके दिखाएंगे, आप भी आकर देखना ” पशुपालक सुधा देवी कहती हैं।

रुद्रप्रयाग जिला के खुमेरा गांव में हरेला पर्व पर पौधे रोपतीं महिलाएं। फोटो- राजेश पांडेय

बीना पंवार हरेला पर पौधारोपण की तैयारी के बारे में बताती हैं, हम यहां सुबह आठ बजे आ गए थे। हमें एक दिन पहले ही सूचना मिल गई थी कि पौधे आ गए हैं। हम जहां पौधे लगा रहे हैं, वहां धंसकने वाले जमीन है। पेड़ लगाकर जमीन नहीं धंसेगी, क्योंकि पेड़ों की जड़ें उनको बांध देंगी।

बसुदेवी बताती हैं, हम हर साल बरसात में पौधे लगाते हैं। पौधे लगाना ही हमारे लिए काफी नहीं है, हम सभी अपने-अपने लगाए पौधों के आसपास की घास हटाते हैं। गर्मियों में उनको पानी देते हैं। हम पौधों को बढ़ते देखते हैं। उनमें कोई दिक्कत होती है तो उनको खाद देते हैं। आज जब हम अपने लगाए पेड़ों को देखते हैं तो बहुत खुशी होती है। सुनीता का कहना है, मैं दो-तीन साल से पेड़ लगा रही हूं। हमें पता है कि हमने कौन-कौन से पौधे लगाए हैं, क्योंकि हम इनकी देखरेख भी करते हैं।

रुद्रप्रयाग जिला के खुमेरा गांव में हरेला पर्व पर पौधारोपण। फोटो- राजेश पांडेय

महिलाओं ने बताया, पहले स्कूल की तरफ से बच्चों ने पौधे लगाए और फिर हम सभी महिलाएं इस अभियान से जुड़ गईं। हम जुलाई से पौधे लगाना शुरू कर देते हैं और यह सिलसिला लगभग दो माह चलता है। हमें अच्छा लगता है कि हमारे लगाए पौधे हमारी पीढ़ियों को साफ पानी, साफ हवा और पशुओं के लिए चारा पत्ती देंगे।

रुद्रप्रयाग जिले के खुमेरा गांव में बांज का जंगल तैयार करने वाली महिलाओं से हमने वार्ता की। फोटो- हिकमत सिंह रावत

एक सवाल पर सुधा देवी कहती हैं, हम उन लोगों को हमारे बनाए जंगल का फोटो खींचकर भेज देंगे, जो केवल फोटो खिंचाकर पेड़ लगाने का शोर मचाते हैं। हम उनको बता सकते हैं कि पौधों को कैसे लगाया जाता है, उनकी देखरेख कैसे की जाती है और जंगल कैसे बनाया जाता है। पौधे लगाना हमारे जीवन की बड़ी आवश्यकता है।

Rajesh Pandey

newslive24x7.com टीम के सदस्य राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून के निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। जीवन का मंत्र- बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button