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धंसता जोशीमठः अभी तक 25 फीसदी भू भाग प्रभावित

जोशीमठ मामले में गृह मंत्री शाह से मिले मुख्यमंत्री धामी

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर जोशीमठ क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव से पैदा हुए हालात की विस्तार से जानकारी दी और आपदा राहत के लिए सहायता का अनुरोध किया। गृहमंत्री ने मुख्यमंत्री को आवश्यक मदद का आश्वासन दिया है।

मुख्यमंत्री धामी ने गृह मंत्री को बताया, अभी तक क्षेत्र का 25 प्रतिशत भू-भाग धंसाव से प्रभावित है। पालिका क्षेत्र में दर्ज भवन लगभग 4500 हैं, जिनमें से 849 भवनों में चौड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। अस्थायी रूप से विस्थापित परिवार 250 हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पांच स्थल चिन्हित किए गए हैं। जोशीमठ के कुल 09 वार्ड में से चार पूर्ण रूप से प्रभावित हैं। आठ केन्द्रीय तकनीकी संस्थान प्रभावित क्षेत्र में वैज्ञानिक परीक्षण कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि विभिन्न केंद्रीय तकनीकी संस्थानों से विचार विमर्श के बाद, प्रारम्भिक रूप से अवगत कराया गया है कि क्षेत्र में वृहद पुनर्निर्माण की आवश्यकता होगी, जिसका फाइनल एस्टीमेशन तकनीकी परीक्षण समाप्त होने के बाद प्राप्त होगा।

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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