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बच्चों ने योगासन से दिया संदेश- योग करोगे, स्वस्थ रहोगे

  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों ने किया योगाभ्यास
  • अभिभावकों और शिक्षकों ने योगाभ्यास के फोटोग्राफ ‘तक धिनाधिन’  के साथ साझा किए
  • अल्मोड़ा के शिक्षक भाष्कर जोशी ने बच्चों के लिए ऑनलाइन सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया
 देहरादून/ हल्द्वानी। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बच्चों ने बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों ने योगासनों के माध्यम से स्वस्थ रहने का संदेश दिया। अभिभावकों और शिक्षकों ने योगाभ्यास के फोटोग्राफ शैक्षणिक व रचनात्मक मंच ‘तक धिनाधिन’  के साथ साझा किए।
योग दिवस का उत्साह सुबह से ही सभी बच्चों में देखते ही बन रहा था। अभिभावकों व शिक्षकों ने योग दिवस पर शुभकामनाएं दी। हमेशा स्वस्थ रहने के लिए बच्चों को योग के लिए प्रेरित किया। विभिन्न योगासनों का अभ्यास करके ‘तक-धिना धिन’ के साथ चित्रों को साझा किया। इनमें देहरादून, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, अंबाला, अहमदाबाद के बच्चे, अभिभावक व शिक्षक शामिल हुए।
छात्र-छात्राओं में भूमिका, चांदनी, आंचल, अंश, प्रिशा,वामिका मैठाणी, वंशिका, कुसुम, सोनी, केशव, आंचल ने योग दिवस पर विभिन्न.योगासन करके बताया कि बच्चे स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग हैं। बच्चों की यह बानगी बड़ों के लिए भी प्रेरणा का काम कर गई।

राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय गलज्वाड़ी, देहरादून के शिक्षक राजीव पांथरी स्कूल में बच्चों को योगासनों का प्रशिक्षण दिया है। उन्होंने बताया कि कक्षा आठ की छात्रा सोनी का चयन राज्य स्तरीय योग प्रतियोगिता के लिए हुआ है।

इस अवसर पर शिक्षक राजीव पांथरी, भाष्कर जोशी, अरविंद सोलंकी, हंसा दत्त, कबीर अहलूवालिया,पूनम शाह, कुंदन सिंह चौहान, प्रीति असवाल, भावना जोशी, रत्ना मैठाणी, राजेश चंद्रा आदि ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यह सुकून की बात है कि बच्चे अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क हैं।बाल्यावस्था से ही योग के प्रति यह जागरूकता छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास में सहायक होगी, यह तो कहा ही जा सकता है। तक धिनाधिन के सभी सदस्यों ने पुनः सभी बच्चों को योग दिवस पर अपनी शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि योग के प्रति इन बच्चों की आस्था निश्चय ही भावी पीढ़ी के लिए शुभ संकेत हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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