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उत्तराखंड के 28 शिक्षकों को ‘गवर्नर्स टीचर्स अवार्ड’

देहरादून। शिक्षक दिवस पर राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने प्रदेश के 288 शिक्षकों को ‘गवर्नर्स टीचर्स अवार्ड’ से सम्मानित किया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में हर जिले से चयनित माध्यमिक शिक्षा व प्राथमिक शिक्षा के एक-एक शिक्षक, जबकि संस्कृत शिक्षा के लिए राज्य स्तर पर चयनित दो शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इनको शिक्षा में नवाचार, नामांकन, बेहतर परीक्षा परिणाम, सामाजिक कार्यों, विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता आदि में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

सम्मानित किए गए शिक्षकों को 10-10 हजार रुपये की राशि के साथ ही राज्यपाल की ओर से चार-चार पुस्तकें भी भेंट की गईं। शिक्षकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों के संकलन ‘मन की बात’, महात्मा गांधी की ‘माई एक्सपेरीमेंट विद ट्रूथ’, प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ व पूर्व राष्ट्रपति डॉ.. एस.राधाकृष्णन की ‘लीविंग विद द परपज’ पुस्तकें भेंट की गईं।

उत्कृष्ट शिक्षकों के बेहतरीन कार्य को सार्वजनिक मान्यता देने और अन्य शिक्षकों को प्रेरणा के लिए वर्ष 2015 में राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने ‘गवर्नर्स टीचर्स अवार्ड’ शुरू किए थे। इस वर्ष से संस्कृत शिक्षा के भी दो शिक्षकों को सम्मानित किए जाने की शुरुआत की गई है। राज्यपाल डॉ. कृष्णकांत पाल और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित करके समारोह का उद्घाटन किया।

राज्यपाल ने पूर्व राष्ट्रपति व महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डॉ.राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक थे। वे स्वामी विवेकानंद के बाद दूसरे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारतीय दर्शन व संस्कृति की जानकारी, प्रभावकारी तरीके से पूरे विश्व को प्रदान की। शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक शिक्षा देता है जबकि गुरु ज्ञान देता है। हर शिक्षक को गुरु बनने का प्रयास करना चाहिए। जब शिक्षक गुरु बनकर अपने विद्यार्थियों को ज्ञान देंगे तो बच्चे स्वतः ही उनका सम्मान करेंगे और आजीवन उनके प्रति कृतज्ञ रहेंगे।

उन्होंने राष्ट्रनिर्माण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की होती है। वर्ष 2030 तक भारत में 40 करोड़ युवा होंगे। इन युवाओं को सही दिशा, शिक्षक ही दिखा सकते हैं। शिक्षकों को किताबी पाठ्यक्रम से ऊपर उठना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए जिला स्तर पर टीचर्स रिफ्रेशर कोर्स या इसी प्रकार की गतिविधियां नियमित रूप से आयोजित की जा सकती हैं, जहां शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों से परिचित कराया जाए। बच्चों में वैज्ञानिक व जिज्ञासु प्रकृति विकसित करने के प्रयास करने चाहिए। शिक्षा को रोचक बनाने के लिए ई-लर्निंग व मल्टीमीडिया एजुकेशन का भी प्रयोग करना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि आज इंटरनेट तक बच्चों की आसान पहुंच है। इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि बच्चे इंटरनेट का किस प्रकार प्रयोग कर रहे हैं। ब्लू-व्हेल जैसे इंटरनेट गेम्स पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इन घटनाओं पर रोक के लिए जरूरी है कि शिक्षकों का बच्चों के साथ निरंतर संवाद हो। बच्चे अपने आप को अकेला महसूस न करें। शिक्षक बच्चों की मनोदशा की जानकारी रखें।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि समाज को नई दिशा दिखाने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज आवश्यकता है कि छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए पुस्तकीय ज्ञान के अतिरिक्त भी विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की जाए।।  गवर्नर्स अवार्ड में संस्कृत शिक्षकों को भी पहली बार पुरस्कार की श्रेणी में शामिल किये जाने पर मुख्यमंत्री ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत संस्कारों को प्रदान करने वाली एक सात्विक भाषा है।

समारोह में अल्मोड़ा जिले से राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय गाड़ी, ताड़ीखेत की सहायक अध्यापिका विनीता खाती व राजकीय आदर्श इंटर कालेज हवालबाग के प्रवक्ता शंकर दत्त भट्ट, बागेश्वर जिले से राजकीय जूनियर हाईस्कूल पिगलो के सहायक अध्यापक सुरेश चंद्र सती व राजकीय बालिका इंटर कालेज पाये की सहायक अध्यापक दया रावत, चमोली जिले से राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुहेड़ की प्रधानाध्यापिका सरला चौहान व राजीव गांधी नवोदय विद्यालय गैरसैंण के प्रवक्ता गजेंद्र सिंह बिष्ट को सम्मानित किया गया।

चंपावत जिले से राजकीय आदर्श इंटर कालेज गागर के प्रधानाध्यापक खड़क सिंह बोरा, राजकीय इंटर कालेज सिप्टी के प्रवक्ता सामाश्रवा आर्य, देहरादून जिले से राजकीय प्राथमिक विद्यालय चोई बस्ती की सहायक अध्यापिका प्रीती शर्मा  व राजकीय बालिका इंटर कालेज राजपुर रोड की सहायक अध्यापिका अनीता नेगी, हरिद्वार जिले से राजकीय प्राथमिक विद्यालय टांटवाला के सहायक अध्यापक डॉ. शिवा अग्रवाल व राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पीतपुर के प्रधानाचार्य अनिल कुमार पांडेय को अवार्ड प्रदान किया गया।

नैनीताल जिले से राजकीय आदर्श उच्चतर विद्यालय पापड़ी के सहायक अध्यापक महेन्द्र सिंह सैनी व राजकीय इंटर कालेज अमिया के प्रधानाचार्य त्रिलोचन उपाध्याय, पौड़ी गढ़वाल जिले से राजकीय प्राथमिक विद्यालय बैजरो की प्रधानाध्यापिका नीलम जोशी व राजकीय इंटर कालेज सुमाड़ी के सहायक अध्यापक अखिलेश चन्द्र चमोला, पिथौरागढ़ जिले से राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय मानले के सहायक अध्यापक चन्द्रशेखर शर्मा व राजकीय इंटर कालेज नारायणनगर की सहायक अध्यापिका राजेन्द्री कन्याल को सम्मानित किया गया।

रुद्रप्रयाग जिले से राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय कोटी-मदोला के सहायक अध्यापक श्याम लाल भारती व राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ऊखीमठ की सहायक अध्यापिका आशा बंगवाल, टिहरी जिले से राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उलाणा कीर्तिनगर के प्रधानाध्यापक उत्तम सिंह राणा व राजकीय बालिका इंटर कालेज थत्यूड़ की प्रवक्ता ऊषा मेहरा, उत्तरकाशी जिले से राजकीय कन्या उच्चतर प्राथमिक विद्यालय खरवां की सहायक अध्यापिका रोशनी व राजकीय इंटर कालेज कवां एटहाली के प्रवक्ता मदन लाल को गवर्नर अवार्ड प्रदान किया गया।

ऊधमसिंह नगर जिले से राजकीय कन्या उच्चतर प्राथमिक विद्यालय उमरूखुर्द खटीमा की प्रधानाध्यापिका पार्वती जोशी व राजकीय इंटर कालेज महवाडावरा,जसपुर के प्रवक्ता तजम्मुल हसन को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त राजकीय संस्कृत महाविद्यालय चंबा टिहरी गढ़वाल के सहायक अध्यापक राकेश कुमार व रामानुज श्री वैष्णव संस्कृत महाविद्यालय, भूपतवाल,हरिद्वार के प्रवक्ता डॉ. प्रकाश चन्द्र जोशी को सम्मानित किया गया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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