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आपका बच्चा जीनियस है, पहचानें उसकी क्षमताओं को

देहरादून। हर बच्चा जीनियस है, क्लास रूम में किसी भी सवाल का सही जवाब
नहीं देने वाला भी। गणित और साइंस जैसे ल़ॉजिकल सब्जेक्ट में सबसे पीछे
रहने वाले भी उतना ही शानदार करिअर बना सकते हैं, जितना कि उनके साथ के
अन्य बच्चे। बच्चे के पढ़ाई के तरीके में थोड़ा सा बदलाव करके उसके चीजों
को समझने और सीखने की राह को आसान बनाया जा सकता है। यह पूरी तरह से
साइंटिफिक तरीके डीएमआईटी से संभव है। इससे अभिभावकों को मालूम हो सकेगा कि उनके बच्चे की क्षमताएं क्या हैं और इनके जरिये उसका करिअर किस
क्षेत्र में बेहतर तरीके से संवार सकते हैं।

फिंगर प्रिंट पर आधारित विज्ञान डीएमआईटी (डरमेटोग्लेफिक्स मल्टी 
इंटेलीजेंस टेस्ट) देहरादून में भी उपलब्ध है। इसका व्यक्ति के मनोमस्तिष्क से गहरा संबंध होता है। यह ज्योतिष या हस्तरेखा शास्त्र नहीं है। डीएमआईटी में फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं और फिर इसका आकलन किया जाता है, जिससे बच्चे की क्षमताओं का पता चलता है । 40 पेज की रिपोर्ट मिलने पर काउंसलर और अभिभावक बच्चे के सीखने और समझने के तरीकों, उसके करिअर और अन्य गतिविधियों पर चर्चा करते हैं। उसकी रुचि के विषयों, व्यवहार पर भी बात होती है। उसकी क्रियेटिविटी पर भी ध्यान दिया जाता है।

बच्चे से क्या चाहते हैं अभिभावक
भागदौड़ और कड़ी स्पर्धा के दौर में अभिभावकों को अपने बच्चों से कई
अपेक्षाएं रहती हैं। वो चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में मजबूत हो। वह
खेलकूद, म्यूजिक, डांस, ड्रामा जैसी अन्य गतिविधियों में भी आगे रहे।
बच्चा आत्मविश्वासी और हर विषय की समझ रखने वाला हो। उनका बच्चा स्मार्ट
हो और जीवन में ज्यादा से ज्यादा सफलता हासिल करे।

अक्सर ये समस्याएं झेलते हैं अभिभावक
बच्चे के दूसरों से संवाद करने में हिचकने, अपनी बात सही तरीके से नहीं
रख पाने, धारा प्रवाह नहीं बोल पाने, विषय याद नहीं रहने जैसी समस्याएं
अक्सर सामने आती हैं। बच्चे के अपने विषय और अन्य चीजों के सीखने का
तरीका अभिभावकों की समझ में नहीं आ पाता। एेसे में बच्चे को पढ़ाने और
समझाने में दिक्कतें पेश आती हैं। बच्चों में समझ होने के बाद भी
आत्मविश्वास पैदा नहीं हो पाता।  अपनी क्षमताओं को नहीं पहचान पाने के
कारण उनका लक्ष्य तय नहीं हो पाता।

करिअर से जुड़े हैं ये तमाम सवाल
क्या आपका बच्चा बहुत ज्यादा टीवी देखता है। क्या आपका बच्चा एक जगह शांत
होकर नहीं बैठ पाता। क्या बच्चा पढ़ाई करते वक्त टीवी देखता है या गाने
सुनता है। क्या उसके लैंग्वेज या मैथ में सबसे ज्यादा या सबसे कम नंबर
आते हैं। क्या वह बहुत बोलता है या शांत रहता है। क्या वह अपने टीचर और
आपसे ज्यादा सवाल करता है। क्या घर में होने वाले किसी आयोजन को सफल
बनाने में पूरी रुचि लेता है। क्या वह कोई भी फैसला सही तरीके से ले पाता
है। क्या वह आसानी से सभी की बात मान लेता है या जिद करता है। क्या वह
दबाव में ज्यादा बेहतर काम करता हैै। क्या उसको सबके साथ घुलने मिलने
वाला है या अकेले रहना ज्यादा पसंद करता है। क्या बच्चे को प्रकृति और
पालतू पशुओं से ज्यादा स्नेह रहता है। इन सवालों का जवाब जो भी, बच्चे के
करिअर को बनाने में आपकी बड़ी मदद करेगा।

टेस्ट से अभिभावकों को फायदा
बच्चे की कुदरती क्षमता जानने के साथ उसके व्यवहार और व्यक्तित्व
(पर्सनलिटी) की जानकारी होगी। बच्चे के गुणों के आधार पर उसके भविष्य को
प्लान कर सकेंगे। बच्चे की समझ और रुचि के अनुसार उससे अपने रिश्ते को और
मजबूत कर सकते हैं। उसके सीखने के तरीके की पहचान होगी।

बच्चे को फायदा
बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ेगा। अभिभावक के सहयोग से उसमें अपनी क्षमताओं
को बढ़ाने में मदद मिलेगी। अपने बेहतर करिअर के लिए सही दिशा चुन सकेगा।
आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य तय हो जाएगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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