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ईप्रोटेक्ट फाउंडेशनः साइबर अपराध के खिलाफ अभिनव पहल

डिजीटल होती जा रही दुनिया में अपराध का रास्ता भी डिजीटली होने लगा है। या यूं कहें कि साइबर अपराधियों की जमात बढ़ रही है। क्या साइबर वर्ल्ड पर अपराधियों को सेंध लगाने का मौका दे दिया जाए। क्या इंटरनेट को  अपराधियों की मौज मस्ती और लूट का अड्डा बनाने की छूट दे दी जाए। इन सवालों पर आपका जवाब होगा, नहीं। कानून का सम्मान करने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं चाहेगा कि किसी अपराधी को इंटरनेट पर मनमानी करने दी जाए।

किसी के साथ भी साइबर अपराध न हो, इसके लिए कई महत्वपूर्ण जानकारियों का होना जरूरी है। अगर किसी के साथ कोई अपराध हुआ है तो छिपाया न जाए, बल्कि आगे बढ़कर अपराधी को पुलिस के हवाले कराने में मदद की जाए। यदि अपने साथ हुए किसी हादसे को छिपाया तो इसका मतलब यह हुआ कि आपने अपराधी का हौसला बढ़ाने में मदद की है। वह किसी और को भी अपनी चपेट में लेकर नुकसान पहुंचा देगा। इसलिए जरूरी है कि अपराधियों को उनकी सही जगह जेल पहुंचाने में मदद करें। किसी भी पीड़ित की मदद के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं। हम हैं-  ई प्रोटेक्ट फाउंडेशन

ई प्रोटेक्ट फाउंडेशन के संस्थापक सीनियर साइबर और फारेंसिक एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत कहते हैं कि फाउंडेशन की स्थापना का उद्देश्य लोगों को साइबर लिटरेसी की नॉलेज शेयर करना है। हमारा मानना है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले हर व्यक्ति का यह अधिकार है कि वो साइबर लिटरेसी को जाने। सोशल मीडिया से लेकर नेट बैंकिंग, ईमेल, क्रेडिट, डेबिट कार्ड यूजर्स यानि इंटरनेट का व्यक्तिगत या बिजनेस के संबंध में इस्तेमाल करने वाले हर शख्स को साइबर सिक्योरिटी की जरूरत है। साइबर अपराधियों के इस नये तरीके को जानिये

सीनियर साइबर एक्सपर्ट अंकुर का कहना है कि पहले तो हमारा प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति साइबर अपराधियों का शिकार न बने, लेकिन यदि कोई पीड़ित है तो उसको सामने आना चाहिए। सोशल मीडिया पर अक्सर महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं सामने आती रही हैं। इन अपराधियों को सलाखों तक पहुंचाना जरूरी है। पीड़ित को न्याय पाने का पूरा अधिकार है। लेकिन अधिकतर मामलों में होता यह है कि लोग अपराधियों के खिलाफ सामने नहीं आते। इस कारण अपराधी का हौसला बढ़ जाता है और वो अन्य लोगों को अपना शिकार बना देते हैं। इनका दुस्साहस बढ़ता जाता है। यदि कोई पीड़ित है तो सीधे पुलिस या ई प्रोटेक्ट फाउंडेशन से संपर्क करे। हमारी टीम पीड़ित और पुलिस के बीच एक ब्रिज की तरह काम करेगी। पीड़ित को काउंसलिंग से लेकर कानूनी सलाह और साइबर लॉयर की सेवाएं भी निशुल्क उपलब्ध कराने में हमारी टीम मदद करेगी। ब्लू व्हेलः साइबर क्रिमिनल सोशल मीडिया पर तलाश रहे सॉफ्ट टारगेट

कई वर्ष से लोगों को साइबर सिक्योरिटी के लिए जागरूक कर रहे अंकुर चंद्रकांत ने बताया कि ई प्रोटेक्ट फाउंडेशन के साथ दो सौ से ज्यादा युवाओं की टीम है, जो लोगों के बीच जाकर साइबर क्राइम से बचने के तरीके बताएगी और पीड़ितों को न्याय हासिल करने के लिए सहयोग करेगी। हम पीड़ित की बात को पुलिस तक पहुंचाने, उनको कानूनी मदद उपलब्ध कराने का कार्य निशुल्क करेंगे।

उन्होंने बताया कि हमारी टीम इच्छुक लोगों को छह-छह घंटे की तीन दिवसीय साइबर टिप्स ट्रेनिंग उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। अगर 50 या इससे ज्यादा लोगों का कोई ग्रुप इस ट्रेनिंग में शामिल होना चाहता है कि ई प्रोटेक्ट फाउंडेशन की टीम निशुल्क सेवाएं देने के लिए तैयार है। इस टीम में साइबर लॉयर विपुल गर्ग, आदर्श पंत, कनिका रावतक, कार्तिक, अनुग्रह डंगवाल, सौरभ डंडरियाल, दिव्या खरे, अस्मिता बिष्ष्ट, यश वर्मा, सम्राट, अमन आदि शामिल हैं। ई प्रोटेक्ट फाउंडेशन  जयपुर, जमशेदपुर, देहरादून सहित 22 बड़े शहरों में कार्य कर रहा है।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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