
e-RUPI system Uttarakhand: किसानों के लिए एक नई शुरुआत
e-Rupee system Uttarakhand
देहरादून, 17 मई, 2025ः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 17 मई 2025 को देहरादून सचिवालय में ई-रूपी प्रणाली (e-RUPI system Uttarakhand) का शुभारंभ किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को इस तकनीक के बारे में जागरूक करने के लिए गांव-गांव व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं। साथ ही, उन्होंने चार नई कृषि नीतियों (कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट, सेब तुड़ाई उपरांत योजना, और मिलेट मिशन) की शुरुआत की और जल्द ही फ्लावर और हनी पॉलिसी लाने की घोषणा की। इन योजनाओं का लक्ष्य कृषि विविधता को बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।
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ई-रूपी प्रणाली क्या है? (e-RUPI system Uttarakhand)
ई-रूपी एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जो उत्तराखंड सरकार ने किसानों के लिए शुरू की है। यह प्रणाली अनुदान राशि को ई-वाउचर (SMS या QR कोड) के रूप में सीधे किसानों के मोबाइल पर भेजती है। इस वाउचर से किसान खाद, बीज, दवाएं आदि खरीद सकते हैं।
ई-रूपी प्रणाली की मुख्य विशेषताएं और लाभ:
- पारदर्शिता: अनुदान राशि सीधे किसानों तक पहुंचती है, जिससे भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका खत्म होती है।
- सुविधा: ई-वाउचर मोबाइल पर मिलता है, जिसे आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
- जागरूकता और प्रशिक्षण: सरकार गांव-गांव में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है, ताकि किसान इस प्रणाली का पूरा लाभ उठा सकें।
- कृषि और रोजगार को बढ़ावा: यह प्रणाली पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि को मजबूत करेगी, रोजगार के अवसर बढ़ाएगी, और पलायन जैसी समस्याओं को कम करेगी।
- आत्मनिर्भर उत्तराखंड: ई-रूपी और नई कृषि नीतियां (जैसे कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट, सेब तुड़ाई, मिलेट मिशन) उत्तराखंड को आत्मनिर्भर और अग्रणी कृषि राज्य बनाने में मदद करेंगी।
नई कृषि नीतियां
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने ई-रूपी के साथ चार नई कृषि नीतियों का शुभारंभ किया:
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कीवी नीति
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ड्रैगन फ्रूट नीति
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सेब तुड़ाई उपरांत योजना
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मिलेट मिशन
जल्द ही फ्लावर और हनी पॉलिसी भी लाई जाएगी।
उद्देश्य
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कृषि विविधता को बढ़ावा देना।
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किसानों की आय में वृद्धि।
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उत्तराखंड को आत्मनिर्भर और अग्रणी कृषि राज्य बनाना।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:
कृषि मंत्री गणेश जोशी, उपाध्यक्ष चाय विकास सलाहकार परिषद महेश्वर सिंह मेहरा, उपाध्यक्ष उत्तराखंड जैविक कृषि भूपेश उपाध्याय, जड़ी बूटी सलाहकार समिति के उपाध्याक्ष बलबीर धुनियाल, राज्य औषधीय पादप बोर्ड के उपाध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, जड़ी बूटी समिति के उपाध्यक्ष भुवन विक्रम डबराल, सचिव डॉ. एसएन पांडेय, महानिदेशक कृषि रणवीर सिंह चौहान, निदेशक आईटीडीए गौरव कुमार सहित विभिन्न जिलों के काश्तकार मौजूद रहे।