current Affairs

क्या आप जानते हैं ये बातें

नीला रंग लाखों लोगों का पसंदीदा है। आकाश नीला है, समुद्र नीला है और अधिकतर लोग इस रंग से प्यार करते हैं। क्या आप जानते हैं कि कोई भी प्राकृतिक खाद्य नीले रंग में उपलब्ध नहीं है। यह इसलिए हो सकता है क्योंकि जब भोजन नीला हो जाता है, तो यह माना जाता है कि भोजन जहरीला हो गया है।
मस्तिष्क का वजन पूरे शरीर के वजन का दो प्रतिशत होता है। जबकि मस्तिष्क सांस लेने में इस्तेमाल आक्सीजन का 30 प्रतिशत खर्च करता है। शरीर के कुल रक्त का 20 फीसदी मस्तिष्क में सर्कुलेट होता है। ऊर्जा की कमी से ब्रेन में आक्सीजन की आपूर्ति भी कम हो जाती है। गहरी सांस लेकर ब्रेन में आक्सजीन और ब्लड सप्लाई को बेहतर किया जा सकता है।
क्या आप जानते हैं कि कोई सॉलिड वस्तु पानी पर तैर सकती है। जवाब है हां। बर्फ पानी पर तैरती है। उदाहरण के लिए ग्लेशियर, समुद्र में बर्फ तैरती है। यह ठीक उसी तरह है कि जैसे पानी या जूस भरे गिलास में आइस क्यूब तैरती है। कोई ठोस वस्तु अपने अधिक घनत्व (डेनसिटी) की वजह से पानी में डूब जाती है। आप पूछेंगे कि सॉलिड आइस क्यों पानी पर तैरती रहती है। जवाब है- आइस की डेनसिटी पानी की डेनसिटी से कम होती है। पानी की सॉलिड फार्म आइस की डेनसिटी अपने लिक्विड फार्म पानी की डेनसिटी से 9 से 10 प्रतिशत कम होती है।  इसलिए यह पानी पर तैरती दिखती है।
आप कितने तरह के पौधों के नाम जानते हैं। 10, 100, 200 या 500, लेकिन हम आपको बता देते हैं कि दुनिया के लगभग 85 फीसदी पौधे समुद्र में पाये जाते हैं। इनमें से भी 75 प्रतिशत की पहचान नहीं हो सकी है।
हमारे सोलर सिस्टम में मौजूद ग्रहों के नाम देवताओं के नाम पर रखे गए हैं, लेकिन EARTH (पृथ्वी) एक ऐसा ग्रह है, जिसका नाम किसी देवता के नाम पर नहीं है। अन्य नाम इस प्रकार हैं-  Sun, Mercury, Mars, Venus, Saturn, Jupiter, Neptune and Uranus.
आप और हम यही जानते हैं कि उल्लू अपने सिर को 270 डिग्री तक घुमा सकता है। लेकिन हमारे बीच एक पक्षी और जीव अपने सिर को हिलाए बिना देख सकते हैं कि उनके पीछे क्या है। यह हैं खरगोश और तोता।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button