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सेलाकुई में लोक कलाकार जमाएंगे रंग

देहरादून। उत्तराखंड राज्य की 21 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में गढ़वाल सभा सेंट्रल हॉप टाउन सेलाकुई की ओर से पांच दिसंबर को सांस्कृतिक रमझोल का आयोजन किया जा रहा है। रमझोल में गढ़वाली, कुमाऊंनी लोक गायक और कलाकार धूम मचाएंगे।

इस रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में गढ़वाली, जौनसारी, कुमाऊंनी और दूसरे लोक गीत और नृत्य पेश किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रंगारंग रमझोल का शुभारंभ करेंगे। इसमें विशिष्ट अतिथि सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर रहेंगे और कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश बेंजवाल करेंगे।

कार्यक्रम संयोजक एडवोकेट शूरवीर सिंह चौहान ने बताया कि 5 दिसंबर को शहीद सतेंद्र चौहान राजकीय इंटर कॉलेज सेलाकुई में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में लोक गायक गजेंद्र राणा, रेखा धस्माना, पूनम सती, मनोज सावंत, अनिल धस्माना, नीलम धस्माना, अमरदीप नेगी, मधु बेंजवाल, विनोद चौहान, राजेश जोशी, सतीश नेगी राही आदि कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।

कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर गढ़वाल सभा सेंट्रल हॉप टाउन सेलाकुई के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बलूनी, कोषाध्यक्ष प्रकाश भट्ट, सचिव रविंद्र मोहन पांडे, संगठन मंत्री गणेश सकलानी, उपाध्यक्ष चरण सिंह कोठियाल, उप सचिव पूरण सिंह रावत, मीडिया प्रभारी हरीश बेंजवाल, प्रचार मंत्री संजय गुसाईं ने बैठक कर सदस्यों को जिम्मेदारी बांटी।

बैठक में कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई। इस मौके पर वीर सिंह रावत, बलवीर सिंह गुसाईं, राजेंद्र सिंह, आशुतोष चौहान, वीरेंद्र प्रसाद, दिनेश कुडि़याल, जयदीप बिजल्वाण, अशोक जोशी, वीरेंद्र बलूनी, जसवीर राणा, पान सिंह रावत, जितेंद्र रावत आदि मौजूद रहे। संयोजक शूरवीर सिंह चौहान ने बताया कि रंगारंग सांस्कृतिक रमझोल में एक किरन सामाजिक संस्था सेलाकुई द्वारा विशेष सहयोग किया जा रहा है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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