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आयुर्वेद व ऐलोपैथी पद्धति के तालमेल से हो सकता हैबेहतर इलाजः सीएस

देहरादून। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने आयुर्वेद पद्धति के महत्व पर विशेष जोर देते हुए कहा कि आज के समय में आयुर्वेद व ऐलोपैथी पद्धति को आपस में तालमेल बनाकर रोगियों का बेहतर इलाज किया जा सकता है।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में राज्य के पीएमएचएस चिकित्साधिकारियों के छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ पर मुख्य सचिव ने कहा, योग और आयुर्वेद के अनुरूप जीवन शैली अपनाकर शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। आयुर्वेद स्वस्थ जीवन शैली का आधार है, जो तनावमुक्त जीवन जीने को बढ़ावा देता है।

मुख्य सचिव ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में Practical Training on Ayurveda for PMHS Medical Officers of Uttarakhand to Promote Wellness Concept पर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय व एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के प्रशिक्षण मॉड्यूल का विमोचन किया।

कार्यक्रम में सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव आयुष डॉ. पंकज कुमार पाण्डे, कुलपति एच.एन.बी. उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. हेमचन्द पाण्डे, कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रो. सुनील कुमार जोशी, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विनीता शाह आदि उपस्थित रहे।

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते हैं। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन करते हैं।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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