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हर 15 दिन में शासन स्तर पर की जाए सीएम हेल्पलाइन की समीक्षाः धामी

सीएम हेल्पलाइन पोर्टल औपचारिक न रहकर जन समस्याओं के समाधान का कारगर माध्यम बनेः सीएम

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम हेल्पलाइन 1905 पर मिलने वाली शिकायतों के निर्धारित समय में निस्तारण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा,यह पोर्टल औपचारिक न रहकर जन-समस्याओं के समाधान का कारगर माध्यम बने। प्रत्येक 15 दिन में हेल्पलाइन पर प्राप्त होने वाली शिकायतों की शासन स्तर पर समीक्षा करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री प्रति सप्ताह सभी जनपदों के कुछ शिकायतकर्ताओं से बात करके शिकायतों के क्रियान्वयन का फीडबैक लेंगे।

सचिवालय में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा, सीएम हेल्पलाइन 1905 आम जन की सुविधा तथा जरूरतमंद लोगों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए बनाया गया है। शिकायतकर्ता की संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। लोगों की संतुष्टि के लिए यदि इसमें कुछ सुधार की जरूरत हो तो वह भी की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में ऊधमसिंह नगर के शिकायतकर्ता सुनील तथा रुद्रप्रयाग के वीरेन्द्र सिंह से भी वार्ता कर जानकारी प्राप्त की। साथ ही, हेल्पलाइन 1905 पर फोन कर कंट्रोल रूम की व्यवस्थाओं को परखा।

उन्होंने इस व्यवस्था से जुड़े कार्मिकों को भी और अधिक प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत बताई। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि आगामी दस दिनों में लम्बित समस्याओं के समाधान का प्रयास किए जाएं।

मुख्यमंत्री ने सभी सचिवों, विभागाध्यक्षों एवं जिलाधिकारियों से भी नियमित रूप से प्राप्त शिकायतों की समीक्षा तथा शिकायतकर्ताओं से संवाद करने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे लोगों में शिकायतों के प्रति संतुष्टि का स्तर बढ़ेगा तथा उन्हें तथ्यों की सही जानकारी भी प्राप्त होगी।

मुख्यमंत्री ने इस प्रक्रिया के तहत बेहतर तथा औसत कार्य करने वाले विभागों के चिन्हीकरण के भी निर्देश दिए, ताकि इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की वस्तुस्थिति भी सामने आ सके। समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सभी प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष एवं वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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