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जानिए, क्या सेहत के लिए फायदेमंद है ब्रेड ?

नई दिल्ली


चाय के साथ ब्रेड का स्वाद ही कुछ अलग होता है, लेकिन इसके फायदे को लेकर शोधकर्ताओं की अलग-अलग राय है। लोग व्हाइट ब्रेड को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और होल व्हीट ब्रेड और ब्राउन ब्रेड को लाभदायक मानते हैं। लेकिन एक ताजा शोध में बताया गया है कि व्हाइट ब्रेड भी ब्राउन या होल व्हीट ब्रेड की तरह हेल्दी मानी गई है। ये रिसर्च चौंकाने वाली है और अब तक हुए अनुसंधान के विपरीत है।

इस रिसर्च में कहा गया है कि व्हाइट ब्रेड में भी उतने ही पोषक पदार्थ होते हैं जितनी अन्य ब्रेड में। शोध में ब्रेड में पेट के लिए फायदेमंद जीवाणु के स्तर को भी मापा गया। स्वास्थ्य प्रभाव के मामले में मामले में एक सप्ताह में दोनों ब्रेड में से किसी में भी कोई अलग इफेक्ट नहीं दिखा। वहीं आलोचकों का मानना है कि बेशक, इस रिसर्च के मुताबिक, कम समय में बहाल व्हीट ब्रेड और व्हाइट ब्रेड के हेल्थ बेनिफिट्स एक जैसे हो, लेकिन ये रिसर्च इस बात की सलाह नहीं देती कि लोगों को हाई फाइबर ब्रेड का सेवन कम करना चाहिए। वैसे भी हाई फाइबर युक्त होल व्हीट ब्रेड लाइफटाइम के लिए कुल मिलाकर स्वास्थ्य के लिए बेहतर हो सकती है। शोध में प्रतिभागियों के ग्लूकोज लेवल से लेकर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फैट और कॉलेस्ट्रॉल लेवल को भी जांचा गया। साथ ही किडनी और लिवर की कंडीशन भी देखी गई।

रिसर्च में दोनों ब्रेड के खाने से किसी तरह का कोई फर्क नहीं देखा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ प्रतिभागियों का ब्लड शुगर लेवल व्हाइट ब्रेड खाने से बेहतर हो गया है। जबकि ब्राउन ब्रेड और होल ग्रेन ब्रेड खाने वाले प्रतिभागियों का ब्लड शुगर लेवल एक जैसा था। मुताबिक, शोधकर्ताओं को यह भी चिंता थी कि व्हाइट ब्रेड से हाई फाइबर उतनी मात्रा में नहीं मिलता जितना होल ग्रेन ब्रेड और ब्राउन ब्रेड से मिलता है। हाई फाइबर खाने से कैंसर, दिल की बीमारियों और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है। (एजेंसी)

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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