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डायबिटीज डेः एम्स ऋषिकेश की डायबिटीज पर फुल जानकारी

मधुमेह रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर रविकांत ने डायबिटीज से बचाव के उपाय और पीड़ित व्यक्ति के लिए जरूरी सावधानियां बताईं

ऋषिकेश। विश्व मधुमेह दिवस पर एम्स, ऋषिकेश के जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष जाने माने मधुमेह रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर रविकांत ने डायबिटीज से बचाव के उपाय और इससे पीड़ित व्यक्ति के लिए जरूरी सावधानियां बताई हैं। उन्होंने मधुमेह से होने वाली जटिलताओं के बारे में भी बताया।

मधुमेह और जटिलताएं-
मधुमेह दो प्रकार की जटिलताओं के लिए जिम्मेदार है।
1. अल्पकालीन – डायबिटीक कीटोएसिडोसिस
2. दीर्घकालीन – मधुमेह नेत्र रोग, मधुमेह तंत्रिका विकृति, डायबिटिक नेफ्रोपैथी, डायबिटिक फुट, डायबिटीज एवं हृदयघात, मधुमेह में यौन रोग।

डायबिटिक कीटोएसिडोसिस क्या है
डायबिटिक किटोएसिडोसिस, मधुमेह में होने वाली एक गंभीर समस्या है। यह शरीर में इंसुलिन की अत्यधिक कमी के कारण होती है।

डायबिटीक कीटोएसिडोसिस के लक्षण
1. अत्यधिक प्यास एवं पेशाब लगना
2. पेट दर्द होना
3. उल्टी होना
4. अर्धचेतना की अवस्था
5. सांस का अत्यधिक तेजी से चलना
6. सांस में फल की खुशबू

डायबिटिक आई प्रॉब्लम (मधुमेह नेत्र रोग)
समय के साथ मधुमेह आपकी आंखें खराब कर सकता है। इससे संबंधित सबसे सामान्य समस्या है, डायबिटिक रेटिनोपैथी (दृष्टि पटल विकृति)।

डायबिटीक नर्व प्रॉब्लम
समय के साथ, मधुमेह आपकी तंत्रिकाओं के आवरण (माइलिन) तथा रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इस क्षति को डायबिटीक न्यूरोपैथी (मधुमेह तंत्रिका विकृति) कहते हैं। इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं।
1. आपके हाथ, टांगों या पांव में सुन्नता
2. तेज दर्द, जलन या झुनझुनी
3. मिचली, उल्टी, कब्ज या दस्त
4. यौन क्रिया से संबंधित समस्याएं
5. मूत्र संबंधी समस्याएं
6. तेजी से स्थिति बदलने पर चक्कर आना

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डायबिटिक नेफ्रोपैथी
मधुमेह अंतिम चरण के गुर्दे की बीमारी का सबसे आम कारण है। मधुमेह में वास्कुलोपैथी के कारण नेफ्रोपैथी होता है। इसके लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल हैं।

• नींद की कमी
• पेट खराब होना
• भूख नहीं लगना या भूख में कमी
• कमजोरी
• रक्तचाप में असंतुलन (जैसे लो बीपी या हाई बीपी होना)
• पेशाब में प्रोटीन आना
• फोकस करने में कठिनाई
• बार बार पेशाब आना
• जी मचलाना और उल्टी

डायबिटीक फुट
डायबिटीक फुट अल्सर, एक आम लेकिन गंभीर समस्या है, जो आमतौर पर डायबिटीज मेलिटस को ठीक से कंट्रोल नहीं कर पाने के कारण होती है। डायबिटीज मेलिटस भी उन बीमारियों में से एक है, जो घाव के भरने की प्रक्रिया को धीमी कर देता है।

मधुमेह (डायबिटीज) में पैरों की समस्या अक्सर तंत्रिका (नर्व) और रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसेल्स) में क्षति के कारण उत्पन्न होती है। लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा (हाई ब्लड शुगर) रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है, जो रक्त के प्रवाह को कम कर देती है। यदि पैरों में रक्त वाहिकाओं की आपूर्ति में रुकावट आए, तो पैरों की त्वचा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। डायबिटिक फुट में त्वचा, चमड़े के नीचे के ऊतक, मांसपेशियां या यहां तक कि हड्डी तक भी शामिल हो सकता है।

डायबिटीज एवं हृदयघात
डायबिटीज से ग्रसित रोगी में हृदय एवं धमनियों के रोगों का खतरा सामान्य व्यक्ति से दोगुना होता है। डायबिटीज में हृदय रोग ज्यादा व्यापक होता है तथा ज्यादातर हृदय की दोनों या तीनों प्रमुख धमनियां प्रभावित होती है। इससे हृदय की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है तथा हृदय की रक्त निर्वाह करने की क्षमता काफी प्रभावित होती है।

कभी-कभी डायबिटीज में न्यूरोपैथी (तंत्रिका विकार) की वजह से हृदयघात भी दर्द रहित हो सकता है, ऐसे में रोगी को पता ही नहीं चलता कि उसे हृदयघात हुआ है।

हृदयाघात से बचने के लिए कुछ दवाओं को लगभग जीवनपर्यंत खाना पड़ता है और अपना शुगर लेवल नियंत्रित रखना होता है। अगर इसके उपरांत भी आराम नहीं मिलता है, तो चिकित्सक द्वारा आधुनिक उपचार (CABG, PCI) के लिए मरीज को अवगत कराया जाता है।

मधुमेह में यौन रोग
डायबिटीज के मर्ज में यौन दुर्बलता व्यक्ति के लिए मुख्य समस्याओं में से एक हो सकती है। पुरुषों में, डायबिटीज से उत्पन्न होने वाली समस्याएं शामिल हो सकती हैं, जैसे कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन (कामेच्छा में कमी) और ताकत में कमी।

महिलाओं में भी, डायबिटीज यौन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, जिससे कामेच्छा में कमी, सूखापन या यौन संबंधों में दर्द हो सकता है। हार्मोनल परिवर्तन और शरीर के विभिन्न हिस्सों में क्षति के कारण यह समस्याएं हो सकती हैं।

ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि डायबिटीज के मरीज इसे खुलकर अपने चिकित्सक से साझा करें, ताकि सही उपचार और समर्थन मिल सके।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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