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अफगानिस्तान में बालिकाओं के बाल विवाह के मामलों में तेजी चिंताजनकः यूनिसेफ
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) को ऐसी विश्वसनीय रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं, जिनके अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों की कम आयु में ही शादी करने के मामले बढ़े हैं। कुछ मामलों में तो परिवार, दहेज की एवज़ में, अपनी महीने भर की बेटियों का भविष्य में विवाह कराने का वादा करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र समाचार में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, अफ़ग़ानिस्तान में हाल के दिनों में राजनैतिक अस्थिरता बढ़ी है, मगर उससे पहले भी, यूनीसेफ़ के साझीदार संगठनों ने बाल विवाह के 183 मामलों और हेरात व बग़दिस प्रान्तों में बच्चे बेचे जाने के दस मामले दर्ज किए थे।
ये मामले वर्ष 2018 से 2019 के हैं, और पीड़ित बच्चों की उम्र छह महीने से लेकर 17 वर्ष थी।
यूएन एजेंसी का अनुमान है कि 15 से 49 वर्ष आयु की 28 प्रतिशत अफ़ग़ान महिलाओं का विवाह, 18 वर्ष की उम्र से पहले ही कर दिया गया।
I am deeply concerned by reports that child marriage in Afghanistan is on the rise.
The future of an entire generation is at stake.https://t.co/9CV2dlPnaQ
— Henrietta H. Fore (@unicefchief) November 12, 2021
यूएन एजेंसी यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने शुक्रवार को जारी एक वक्तव्य में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि पर गहरी चिन्ता जताई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, कोविड-19 महामारी, खाद्य संकट और सर्दी की शुरुआत होने से मौजूदा हालात में परिवारों के लिए परिस्थितियाँ और भी कठिन हो गई हैं।
वर्ष 2020 में क़रीब आधी अफ़ग़ान आबादी को निर्धनता के कारण, बुनियादी आवश्यकताएं- पोषक आहार या स्वच्छ जल भी उपलब्ध नहीं था।
बेहद कठिन आर्थिक परिस्थितियों की वजह से ज़्यादा संख्या में परिवार निर्धनता के गर्त में धंस गए हैं और उन्हें हताशा में मुश्किल विकल्प चुनने पड़ रहे हैं – बच्चों को काम पर लगाना पड़ रहा है और कम उम्र में ही उनकी शादी की जा रही है।
यूएन एजेंसी की शीर्ष अधिकारी ने कहा, “चूँकि अधिकतर किशोर लड़कियों को स्कूल वापस जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए बाल विवाह का जोखिम अब और भी अधिक है।”
यूनीसेफ़ अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर, लड़कियों की जल्द शादी कराए जाने में निहित जोखिमों के प्रति, सामुदायिक स्तर पर जागरूकता प्रसार में जुटा है।
स्थानीय लोगों को बताया जा रहा है कि बाल विवाह के कारण, लड़कियों को सारी उम्र पीड़ा झेलनी पड़ती है। 18 वर्ष से पहले जिन लड़कियों की शादी करा दी जाती है, उनके स्कूल में पढ़ाई करने की सम्भावना कम होती है।
वहीं, घरेलू हिंसा, भेदभाव, दुर्व्यवहार और ख़राब मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव करने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भावस्था और बच्चों के जन्म के समय उनके लिए स्वास्थ्य जटिलताओं का ख़तरा बढ़ जाता है।
यूएन एजेंसी ने एक सहायता कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य सर्वाधिक निर्बल समुदायों के लिए भुखमरी, बाल मज़दूरी और बाल विवाह के जोखिमों को कम करना है। उनकी योजना इस कार्यक्रम का दायरा बढ़ाने और अन्य सामाजिक सेवाओं कार्यक्रमों को मज़बूती प्रदान करने की है।
यूनिसेफ़ टीम, स्थानीय धार्मिक नेताओं के साथ मिलकर भी प्रयास कर रही है, ताकि उन्हें छोटी उम्र में लड़कियों के निकाह में शामिल होने से रोका जा सके।
लेकिन, यूएन एजेंसी प्रमुख का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है, और केन्द्रीय, प्रान्तीय व स्थानीय प्रशासन को सर्वाधिक निर्बल परिवारों और लड़कियों के लिये समर्थन सुनिश्चित करना होगा।
उन्होंने तालिबान प्रशासन से लड़कियों के लिए सभी माध्यमिक स्कूल खोलने को प्राथमिकता के तौर पर लिए जाने का आग्रह किया है, और कहा है कि महिला शिक्षिकों को बिना देरी किए काम पर लौटने की अनुमति दी जानी होगी।
इस बीच, महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के उन्मूलन पर समिति (CEDAW) का सत्र समाप्त हो गया है, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों व महिलाओं के लिए हालात पर गहरी चिन्ता जताई गई है।
समिति ने उनके हालात पर एक रिपोर्ट तैयार किए जाने की मांग रखने और एक अनौपचारिक टास्क फ़ोर्स के गठन की आवश्यकता पर विचार करने के लिए कहा है।