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डिजिटल डिटॉक्स क्या है और यह क्यों जरूरी है

कुछ समय के लिए डिजिटल डिवाइस और तकनीक से अलग होने की प्रक्रिया है डिजिटल डिटॉक्स

Why is Digital Detox Important?

न्यूज लाइव डेस्क

डिजिटल डिटॉक्स तनाव को कम करने, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कुछ समय के लिए डिजिटल डिवाइस और तकनीक से अलग होने की प्रक्रिया है। इसमें स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर और टेलीविज़न जैसे डिजिटल डिवाइस का उपयोग करने से परहेज़ करना और इसके बजाय ऐसी गतिविधियों में शामिल होना शामिल है, जो विश्राम, आत्म-चिंतन और मानवीय जुड़ाव को बढ़ावा देती हैं।

डिजिटल डिटॉक्स क्यों ज़रूरी है? (Why is Digital Detox Important?)

आज के डिजिटल युग में, हम लगातार नोटिफ़िकेशन, ईमेल और सोशल मीडिया अपडेट से घिरे रहते हैं। इससे ये हो सकता है:

– तनाव और चिंता में वृद्धि
– ध्यान अवधि और प्रोडक्टिविटी में कमी
– नींद की खराब गुणवत्ता
– आमने-सामने संचार कौशल में कमी
– लत का जोखिम बढ़ना

डिजिटल डिटॉक्स निम्नलिखित का अवसर प्रदान करता है:

– आराम और रिचार्ज
– मानसिक स्पष्टता और ध्यान में सुधार
– रचनात्मकता और उत्पादकता में वृद्धि
– रिश्तों और संचार कौशल में सुधार
– स्वस्थ डिजिटल आदतों का विकास

डिजिटल डिटॉक्स कैसे करें (How to Do a Digital Detox)

1. एक लक्ष्य निर्धारित करें: अपने डिजिटल डिटॉक्स की अवधि तय करें, चाहे वह एक दिन, एक सप्ताहांत या एक सप्ताह हो।

2. तैयारी करें: अपने दोस्तों और परिवार को सूचित करें, अपने ईमेल और सोशल मीडिया खातों पर ऑटो-रिस्पॉन्डर सेट करें, और वैकल्पिक गतिविधियों की योजना बनाएं।

3. डिस्कनेक्ट करें: अपने डिवाइस बंद करें और अपने डिटॉक्स की अवधि के दौरान तकनीक का उपयोग करने से बचें।

4. वैकल्पिक गतिविधियों में शामिल हों: पढ़ें, व्यायाम करें, ध्यान करें, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं।

5. चिंतन और मूल्यांकन करें: इस समय का उपयोग अपनी डिजिटल आदतों पर चिंतन करने और मूल्यांकन करने के लिए करें कि आप तकनीक का उपयोग किस तरह से स्वस्थ तरीके से करना चाहते हैं।

याद रखें, डिजिटल डिटॉक्स का मतलब अपने जीवन से तकनीक को पूरी तरह से खत्म करना नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखना और टिकाऊ डिजिटल आदतें विकसित करना है।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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