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“Sir” शब्द की कोई फुल फॉर्म नहीं है, इसका मतलब यह होता है

सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत तरीके से बताया जा रहा है "sir" शब्द का अर्थ

न्यूज लाइव डेस्क

“sir” शब्द का इस्तेमाल हमारी दिनचर्या में कई बार होता है। अपने से सीनियर या उम्र में बड़े लोगों को अक्सर “sir” कहकर संबोधित करते हैं। ई-मेल लिखते समय भी शुरुआती शब्द “sir” ही होता है। या यूं कहें कि यह शब्द संबोधन के लिए हमारी जुबान पर है।

पर, देखा जा रहा है, सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत तरीके से बताया जा रहा है कि “sir” की फुल फॉर्म ‘Slave I Remain’ होती है, जिसका मतलब होता है “मैं गुलाम बना हूं”।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि “sir” शब्द की कोई फुल फार्म नहीं है और “sir” का मतलब खुद को गुलाम बताने से नहीं है। इसलिए इस शब्द की मनगढ़ंत व्याख्या की तरफ ध्यान नहीं दिया जाए।

“sir” शब्द दूसरों के प्रति सम्मान प्रदान करने का संबोधन है। इस शब्द की उत्पत्ति Middle English और Old French
से हुई है। इसका संबंध Old French “Sire” से है, जो स्वयं Latin word “senior” से आया है, जिसका अर्थ है “Older” या “elder” है।

Medieval times में “sir” का उपयोग अधिकार की स्थितियों वाले किसी व्यक्ति, जैसे knight या lord को संबोधित करने के लिए सम्मानजनक रूप में किया जाता था।

समय के साथ,”sir” का उपयोग अधिक व्यापक हो गया और पुरुषों के लिए विनम्र संबोधन के लिए यह सामान्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसे आम तौर पर दूसरों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उपयोग किया जाता है, अक्सर किसी व्यक्ति के नाम से पहले या सम्मान या विनम्रता दिखाने के लिए इसे उपयोग किया जाता है।

“sir” शब्द का उपयोग दिनचर्या में करते रहिए, यह दूसरों के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करता है।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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